नईदिल्ली : पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की छापेमारी को लेकर सरकार पर भड़के हुए हैं. सत्यपाल मलिक ने कहा कि अभी मैं इतना कमजोर नहीं हूं. आप युवाओं से मिलकर शरीर में वही जोश और हिम्मत आ गई. जो किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह के समय मेरे अंदर थी. राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी साथियों संग अस्पताल में भर्ती सत्यपाल मलिक से मुलाकात कर हालचाल जानने पहुंचे थे. निर्मल चौधरी ने सीबीआई के दुरुपयोग पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने सत्यपाल मलिक के जल्द स्वस्थ होने की कामना की.
छात्रसंघ अध्यक्ष के सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर करते हुए सत्यपाल मलिक ने एक्स पर लिखा-“मैं अभी इतना कमजोर नहीं हूं, लेकिन आज आप युवाओं से मिलकर शरीर में वहीं जोश व हिम्मत आ गई. जो किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह के समय मेरे अंदर थी. इस तानाशाही मोदी सरकार को जब-तक में सत्ता से बेदखल नहीं कर दूंगा. तब तक मैं आराम से बैठने वाला नहीं हूं. मैं जल्द ही स्वस्थ होकर जनता के बीच जाऊंगा ओर बेरोजगार युवाओं व किसानों के मुद्दे लगातार उठाऊंगा.”
बागपत में सत्यपाल मलिक पैतृक गांव हिसावदा में गुरुवार को गाजियाबाद से सीबीआई की एक टीम पहुंची थी. तीन घंटे की जांच पड़ताल कर और मकान की वीडियोग्राफी के बाद टीम वापस लौट गई. पुलिस क्षेत्राधिकारी हरीश सिंह भदौरिया ने बताया कि सीबीआई की टीम ने बागपत पुलिस को पहले से खबर नहीं दी थी. अधिकारी छापेमारी से संबंधित बाकी जानकारी को शेयर करने से इनकार किया.
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हिसावदा में रहनेवाले अनु मलिक ने बताया कि सत्यपाल मलिक के परिजन गांव से बाहर रहते हैं. सीबीआई ने उनके कमरों को खुलवाकर गहन जांच की है. उन्होंने बताया कि टीम तीन घंटे तक मौके पर रही. पुश्तैनी हवेली में सत्यपाल मलिक के कमरे खुलवाकर देखे गए. सीबीआई की टीम ने परिवार के कई लोगों से पूछताछ भी की.
ग्रामीणों के मुताबिक सीबीआई टीम सुबह करीब सवा नौ बजे सबसे पहले पुश्तैनी हवेली में पहुंची. हवेली में पूर्व राज्यपाल के रिश्तेदार सेवानिवृत्त बीडीओ बिजेंद्र मलिक, अवध मलिक और स्वेत मलिक के परिवार रहते हैं. सीबीआई की टीम ने सभी से सत्यपाल मलिक की संपत्ति के बारे में पूछताछ की.
उन लोगों ने बताया कि सत्यपाल मलिक की कोई संपत्ति नहीं है. पुश्तैनी हवेली में केवल चार कमरे हैं. पूछताछ के बाद सीबीआई की टीम ने चारों कमरों को खुलवाकर छानबीन की. राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक पिछले कई सालों से परिवार संग दिल्ली के आर के पुरम में रहते हैं.
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अगस्त 2018 को उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. 15 महीने बाद नवंबर 2019 में उन्हें गोवा के राज्यपाल की जिम्मेदारी दे दी गई. जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहते हुए विधानसभा भंग हुई और राज्य का सारा एडमिनिस्ट्रेशन उनके पास आ गया था. इसके अलावा, पुलवामा हमला और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 भी उन्हीं के कार्यकाल में हटाया गया था. कुछ दिन पहले उन्होंने एक इंटरव्यू में पुलवामा हमले और किसान आंदोलन को लेकर कई खुलासे किए थे.
उन्होंने बताया कि जब पहले किसान आंदोलन के दौरान किसान दिल्ली बॉर्डर पर कई महीनों तक धरने पर बैठे थे तो गवर्नर रहते हुए उन्होंने पीएम मोदी से बात की थी. लेकिन उनका झगड़ा हो गया. उन्होंने कहा, ‘गर्वनर रहते हुए मैं जो बोला उसका एक असर हुआ और किसानों को अच्छा लगा. मैंने पीएम मोदी से कहा कि ये किसान 4 महीने से धरने पर बैठे हैं. उनसे बात करें. खुद बात नहीं करनी तो किसी ओर के जरिए बात करें तो वो बोले नहीं कुछ नहीं होता वो चले जाएंगे. मैं इस पर रिएक्ट कर गया और मैंने कहा कि इनसे लड़ा नहीं जाता बात की जाती है.’
सत्यपाल मलिक ने आगे कहा, ‘उस वक्त उन्हें समझ नहीं आया फिर दो महीने बाद माफी मांगी और कानून वापस लिया. इसके बाद मेरी बातचीत उनसे बंद हो गई और बाद में मुझे जो बात करनी होती थी अमित शाह के जरिए करते थे. वो अच्छे आदमी हैं. उनसे मेरी अच्छी बातचीत थी.’
इस दौरान सत्यपाल मलिक ने पुलवामा हमले पर भी बात की और कहा कि पुलवामा हमले का बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पॉलिटिकली इस्तेमाल किया है. उन्होंने कहा कि वह घटना सरकार की गलती की वजह से हुई, लेकिन सरकार ने उसको दबा दिया.
पुलवामा हमले को लेकर क्या बोले सत्यपाल मलिक
सत्यपाल मलिक ने कहा, ‘सीआरपीएफ ने जम्मू से श्रीनगर अपने जवानों को ले जाने के लिए 4 एयरक्राफ्ट मांगे थे. सड़क के जरिए इतने जवानों को लेकर नहीं जाते हैं. 4 महीने उनकी रिक्वेस्ट होम मिनिस्ट्री में पड़ी रही और फिर रिजेक्ट हो गई.
‘उन्होंने कहा कि तब जवान सड़क मार्ग पर चले और ये दुर्घटना हुई. सत्यपाल मलिक ने कहा कि उस बीजेपी चुनाव हार रही थी. लेकिन पुलवामा हमले का पॉलिटिकल इस्तेमाल करके जीत गए.
सत्यपाल मलिक ने कहा, ‘आज भी अगर विपक्ष पुलवामा हमले का मुद्दा उठाए तो बीजेपी चुनाव हार जाएगी. मुझे विपक्ष से भी शिकायत है वो भी नहीं उठा रहे इस मुद्दे को.’ उन्होंने कहा कि विपक्ष अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है. उसे भी सड़कों पर होना चाहिए और सरकार के खिलाफ पुलवामा हमले, कृषि कानून को लेकर सवाल उठाने चाहिए.
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