Thursday, May 16, 2024
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झारखंड में चंपई सरकार ने साबित किया बहुमत, पक्ष में पड़े 47 और विपक्ष के 29 वोट, विपक्षी पार्टियों की साजिश हुई नाकाम

झारखंड की सरकार ने सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया. चंपई सोरेन सरकार के पक्ष में 47 मत पड़े जबकि विपक्ष में 29 मत ही पड़े. तीन सदस्यगैर हाजिर रहे. इसके साथ ही राज्य में 31 जनवरी से चल रहे सियासी उठापटक का पटाक्षेप हो गया.

इससे पहले गठबंधन सरकार के सभी विधायक हैदराबाद में डेरा डाले हुए थे. इन तमाम घटनाक्रमों के केंद्र में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का इस्तीफा रहा. भूमि घोटाले में ईडी द्वारा हेमंत की गिरफ्तारी के बाद राज्य में सियासी संकट खड़ा हो गया था.

सीएम चंपई सोरेन ने कहा मैं गर्व से कहता हूं कि मैं हेमंत सोरेन का ही पार्ट-2 हूं. सीएम ने केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया.

जयराम रमेश ने राज्यपालों पर लगाए आरोप

जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि राज्यपाल हर जगह पक्षपात कर रहे हैं. तमिलनाडु, केरल, मणिपुर, जम्मू कश्मीर, झारखंड, बिहार। राज्यपाल वही करते हैं. जो गृह मंत्रालय और पीएमओ उनसे कहता है.

जयराम रमेश ने झारखंड विधानसभा में विश्वास मत जीतने पर कही ये बात

चंपई सोरेन सरकार के विश्वास मत जीतने पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा ‘इसमें कोई शक नहीं था. हमने पहले ही कहा था कि हम अच्छे बहुमत से विश्वास मत जीतेंगे. 47 विधायक समर्थन में थे. ऑपरेशन कीचड़ फेल हो गया. भाजपा ने हेमंत सोरेन को पहले गिरफ्तार कराया फिर चंपई सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में देरी कराई. भाजपा नाकामयाब रही और हमारी सरकार जारी रहेगी. हम एक बार फिर जनता से अपने काम के आधार पर बहुमत लेने के लिए काम करेंगे.

हेमंत सोरेन ने ईडी-सीबीआई-आईटी को लेकर साधा निशाना

हेमंत सोरेन ने कहा, मुझे कोई गम नहीं कि मुझे आज ED ने पकड़ा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा का उदय झारखंड के मान, सम्मान, स्वाभिमान को बचाने के लिए हुआ है और जो भी बुरी नजर डालेगा उसे हम मुंह तोड़ जवाब देंगे. मैं आंसू नहीं बहाऊंगा. आंसू वक्त के लिए रखूंगा. आप लोगों के लिए आंसू का कोई मोल नहीं.

पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, ‘यह झारखंड है, यह देश का एक ऐसा राज्य है जहां हर कोने में आदिवासी-दलित वर्गों से अनगिनत सिपाहियों ने अपनी कुर्बानी दी है। ED-CBI-IT जो देश की विशेष और काफी संवेदनशील व्यवस्थाएं कही जाती हैं… जहां करोड़ों रुपए डकार कर इनके सहयोगी विदेश में जा बैठे हैं. उनका एक बाल बांका करने की इनके पास औकात नहीं है. इनके पास औकात है तो देश के आदिवासी दलित-पिछड़ों और बेगुनाहों पर अत्याचार करना… अगर है हिम्मत तो सदन में कागज पटक कर दिखाए कि यह साढ़े 8 एकड़ की ज़मीन हेमंत सोरेन के नाम पर है, अगर हुआ तो मैं उस दिन राजनीति से अपना इस्तीफा दे दूंगा.
81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए पिछले चुनाव 30 नवंबर से 20 दिसंबर 2019 तक हुए थे. ये चुनाव पांच चरणों में कराए गए थे. जिसमें कुल 65.18 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था. नतीजे 23 दिसंबर 2019 को घोषित किए गए. जब नतीजे सामने आए तो सत्ताधारी भाजपा को झटका लगा और वह 41 सीटों के जादुई आंकड़ों से पिछड़ गई. हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम को सबसे ज्यादा 30 सीटें आई. इसके बाद भाजपा को 25 सीटें मिलीं. अन्य दलों की बात करें तो कांग्रेस के 16 विधायक, झाविमो के तीन और आजसू  के दो विधायक जीते. इसके अलावा दो निर्दलीय विधायक जबकि राजद, सीपीआई (एमएल) और एनसीपी के एक-एक विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे.
हार के बाद भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री रहे रघुबर दास ने इस्तीफा दे दिया. जेएमएम के नेतृत्व में राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी. इस सरकार में जेएमएम को कांग्रेस, राजद, सीपीआई (एमएल) और एनसीपी का साथ मिला. इसके अलावा झाविमो प्रमुख और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी हेमंत सोरेन सरकार को अपनी पार्टी का समर्थन दे दिया. वहीं 24 दिसंबर 2019 को झामुमो विधायक दल का नेता हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
फरवरी 2020 में झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ‘घर वापसी’ करते हुए भाजपा में शामिल हो गए. इसके अलावा उन्होंने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) का भाजपा में विलय भी कर दिया. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बाबूलाल मरांडी का पार्टी में स्वागत किया. उसी समय झारखंड विकास मोर्चा से निकाले गए दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तीर्की कांग्रेस में शामिल हो गए. झारखंड कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी आरपीएन सिंह की मौजूदगी में दोनों विधायकों ने कांग्रेस का हाथ थामा था.
नवंबर 2020 में झारखंड में दो सीटों बेरमो और दुमका के लिए उपचुनाव हुए थे. सत्ताधारी गठबंधन ने दोनों ही विधानसभा सीटें बरकरार रखते हुए कामयाबी पाई थी. बेरमो में कांग्रेस के अनूप सिंह ने भाजपा के योगेश्वर महतो को हराया था. वहीं, दुमका में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन ने भाजपा की लुईस मरांडी को शिकस्त दी थी.
इसके बाद मई 2021 में मधुपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हुआ था. इसमें झामुमो प्रत्याशी हफीजुल हसन अंसारी ने भाजपा के गंगा नारायण सिंह को पराजित किया था. झारखंड की मांडर विधानसभा सीट पर जून 2022 में उपचुनाव हुए थे. इसमें कांग्रेस प्रत्याशी शिल्पी नेहा तिर्की जीती थी. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी गंगोत्री कुजूर को हराया था.
पिछले साल मार्च में रामगढ़ सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आए थे. इसमें एनडीए की तरफ से आजसू पार्टी की प्रत्याशी सुनीता चौधरी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के बजरंग महतो को हराया था.
राज्य में अंतिम उपचुनाव गिरिडीह जिले की डुमरी विधानसभा सीट के लिए हुआ था. सितंबर 2023 में आए नतीजे में झामुमो उम्मीदवार बेबी देवी ने आजसू पार्टी की उम्मीदवार यशोदा देवी को हराकर जीत हासिल की थी.
वर्तमान में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले महागठबंधन में 48 विधायकों का समर्थन है. इसमें जेएमएम के 29 विधायक, कांग्रेस के 17, राजद और सीपीआई (एमएल) के एक-एक विधायक हैं.
वहीं, दूसरी ओर राज्य की विपक्षी एनडीए के पास 32 विधायकों का समर्थन हासिल है. इसमें भाजपा के 26 विधायक, आजसू के तीन, दो निर्दलीय और एक एनसीपी (अजित गुट) के विधायक शामिल हैं. इसके अलावा एक सीट खाली है.

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