Saturday, May 18, 2024
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कोविशील्ड का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, विवाद के बाद वैक्सीन सर्टिफिकेट से हटाई गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो

एस्ट्रेजेनेका के Corona Vaccine के फॉर्मूले का लाइसेंस पुणे स्थित Serum Institute Of India को दिया गया था. अब इसके साइड इफेक्ट्स का मामला Supreme Court तक पहुंच गया है. इधर, वैक्सीन सर्टिफिकेट से प्रधानमंत्री Narendra Modi की तस्वीर हटा ली गई है.
कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभावों की खबर सामने आने के बाद भारत में उत्पादन करने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. कोविशील्ड वैक्सीन लगाने के बाद अपनी-अपनी बेटियां खोने वाले 2 परिवार कंपनी पर मुकदमे की तैयारी कर रहे हैं.
एक बड़े समाचार समूह के अनुसार, दोनों परिवार कंपनी पर क्लास-एक्शन सूट में मुकदमा दायर करेगी. उनका दावा है कि कोविड वैक्सीन के बाद उन्होंने अपने परिवार का सदस्य खोया है. जिससे उनको आघात पहुंचा है.
पीड़ित परिवारों में 18 वर्षीय रितिका श्रीओमत्री और करुण्या का परिवार है. रितिका 2021 में 12वीं पास होने के बाद आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रही थीं. मई में कोविशील्ड की पहली खुराक दी गई. 7 दिन बाद उनको तेज बुखार आया. बाद में उनके मस्तिष्क में रक्त में थक्के जमे होने की बात सामने आई. उनकी 2 सप्ताह में मौत हो गई. वेणुगोपाल गोविंदन की बेटी करुण्या की जुलाई, 2021 में टीका लेने के एक महीने बाद मौत हुई.
हाल ही में कोविशील्ड बनाने वाली ब्रिटेन की कंपनी एस्ट्राजेनेका ने एक कोर्ट में स्वीकार किया है कि उसकी वैक्सीन से थ्रोम्बोसिस विथ थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) हो सकता है. TTS एक गंभीर बीमारी है, जिसमें शरीर में खून के थक्के बनने लगते हैं और प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है. भारत में इसी वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने कोविशील्ड नाम से बनाया है और इसकी करीब 175 करोड़ खुराक दी जा चुकी है.
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भारत में कोरोना की सबसे ज्यादा डोज जिस कोविशील्ड वैक्सीन की लगाई गई. उसके साइड इफेक्ट्स आने की खबर के बाद भारत के हर परिवार के लोग डरे हुए हैं. करीब हर परिवार से किसी न किसी को कोविशील्ड की वैक्सीन लगाई गई है.
कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटिश अदालत में माना है कि उसकी वैक्सीन लगवाने से टीकाकरण के बाद खून के थक्के जमने और कम प्लेटलेट काउंट देखने को मिल सकता है.
ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने मिलकर इस वैक्सीन को डेवलप किया था. पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ने इसे बनाया. भारत में इसे कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है और भारत में इस वैक्सीन की लगभग 175 करोड़ डोज लगाई गई.
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड की जांच के लिए एक याचिका दाखिल की गई. इसमें कहा गया है कि कोविशील्ड के साइड इफेक्ट्स की जांच करने के लिए एक्सपर्ट पैनल बनाने का निर्देश जारी किया जाए।.यह याचिका एडवोकेट विशाल तिवारी ने लगाई है. उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगाने के बाद किसी को नुकसान पहुंचा हो. तो उन्हें हर्जाना देने का सिस्टम बनाया जाना चाहिए.
एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटिश अदालत में माना है कि उसकी वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट्स हैं. हालांकि ऐसे केसेस बेहद दुर्लभ हैं. इसके बाद भारत में कोविशील्ड की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई. वजह- कोवीशील्ड भी एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले पर बनी है.
भारत में कोरोना की सबसे ज्यादा डोज जिस कोविशील्ड वैक्सीन की लगाई गई. उसके साइड इफेक्ट्स आने की खबर ने हर किसी को फिक्र में डाल दिया है.
कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटिश अदालत में माना है कि उसकी वैक्सीन लगवाने से टीकाकरण के बाद खून के थक्के जमने और कम प्लेटलेट काउंट देखने को मिल सकता है.
ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने मिलकर इसे डेवलप किया है. पुणे स्थित की सीरम इंस्टीट्यूट ने इसे बनाया है. भारत में इसे कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है और करीब 175 करोड़ खुराक लगाई गई.
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड की जांच के लिए एक याचिका दाखिल की गई. इसमें कहा गया है कि कोवीशील्ड के साइड इफेक्ट्स की जांच करने के लिए एक्सपर्ट पैनल बनाने का निर्देश जारी किया जाए.
याचिका एडवोकेट विशाल तिवारी ने लगाई है. उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगाने के बाद किसी को नुकसान पहुंचा तो उन्हें हर्जाना देने का सिस्टम बनाया जाए.
भारत में सबसे पहली कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड है। इसे पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया है. कोवीशील्ड फॉर्मूला ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका से लिया गया है.
एस्ट्रेजेनेका ने अब ब्रिटिश अदालत में माना है कि उनकी वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट्स हैं. कहा- कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है. इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है.
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का इस्तेमाल अब ब्रिटेन में नहीं हो रहा है. टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार में आने के कुछ महीनों बाद वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन के खतरे को भांप लिया था. सुझाव दिया गया था कि 40 साल से कम उम्र के लोगों को दूसरी किसी वैक्सीन का भी डोज दिया जाए. क्योंकि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से होने वाले नुकसान कोरोना के खतरे से ज्यादा थे.
एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटिश अदालत में माना है कि उसकी वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट्स हैं. हालांकि ऐसे केसेस बेहद दुर्लभ हैं. इसके बाद भारत में कोवीशील्ड की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई. वजह- कोवीशील्ड भी एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले पर बनी है.
याचिका में कहा गया है कि कोवीशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की जांच के लिए मेडिकल एक्सपर्ट्स का पैनल बनाने के निर्देश जारी किए जाएं. इस पैनल में AIIMS दिल्ली के एक्सपर्ट भी हों. पैनल की अध्यक्षता AIIMS के डायरेक्टर करें और जांच की निगरानी का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के पास हो.
एक्सपर्ट पैनल इस बात की जांच करे कि कोवीशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स हैं क्या? अगर हैं तो वो कितने गंभीर हैं? वैक्सीन लगाने के बाद किसी को गंभीर नुकसान पहुंचा हो या जान गई हो तो केंद्र को निर्देश दिए जाएं कि वो ऐसे लोगों को हर्जाना देने के लिए वैक्सीन डैमेज पेमेंट सिस्टम बनाए.
एस्ट्राजेनेका ने यूनाइटेड किंगडम की कोर्ट में कहा कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. हालांकि ऐसा बहुत रेयर (दुर्लभ) मामलों में ही होगा.
वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है. इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है.
उन लोगों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं. जिन्होंने अपनों को खोया है या गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा. हम दवाइयों और वैक्सीन के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए सभी मानकों का पालन करते हैं.
दरअसल, अप्रैल 2021 में जेमी स्कॉट नाम के शख्स ने यह वैक्सीन लगवाई थी. इसके बाद उनकी हालत खराब हो गई. शरीर में खून के थक्के बनने का सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा. इसके अलावा स्कॉट के ब्रेन में इंटरनल ब्लीडिंग भी हुई. रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों ने उनकी पत्नी से कहा था कि वो स्कॉट को नहीं बचा पाएंगे. जेमी स्कॉट की पत्नी ने ब्रिटिश कोर्ट में एस्ट्राजेनेका के खिलाफ पहला केस दर्ज कराया था.
मेडिसिन हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी (MHRA) के मुताबिक ब्रिटेन में साइड इफेक्ट से जूझने वाले हर 5 में से एक व्यक्ति की मौत हुई है. फरवरी में 163 लोगों को सरकार ने मुआवजा दिया था. इनमें से 158 ऐसे थे, जिन्होंने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगवाई थी.
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