गरियाबंद : छत्तीसगढ़ के गरियाबंद के उदंती सीतानदी अभ्यारण्य के कोर जोन में रिसगांव रेंज में काटे गए 351 सागौन पेड़ के तस्करों के मामले में बड़ी जानकारी सामने आई है. 1050 पन्नों की चार्जशीट तैयार की गई है. जिसमें तस्करों के संरक्षण देने वाला SDO एमआर साहू के नाम का जिक्र है. कोर जोन से रेत ढुलाई करने वाले ट्रैक्टर को भी फर्जी दस्तावेज बना कर छोड़ा गया है. काम के बदले वन कर्मियों से कमीशनखोरी का मामला भी है.
उपनिदेशक वरुण जैन ने पीसीसीएफ को 1050 पन्नों की चार्जशीट सौंपी. लेकिन हैरानी की बात है कि दोषी एसडीओ के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. अब जल्द इस मामले में उपनिदेशक FIR दर्ज कराने के मूड में हैं.
उदंती सीता नदी अभ्यारण के रिसगांव रेंज में ओडिशा से लगे जंगल से 351 पेड़ अवैध रुप से काटने के मामले घिरे SDO एमआर साहू की मुसीबत बढ़ने वाली है. कोर जोन में रेत का अवैध परिवहन करने वाले ट्रेक्टर को अवैध रुप से न सिर्फ छोड़ने, बल्कि उसे छोड़ने के लिए सरकारी सील और फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल भी करने के आरोपी पाए गए हैं.
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यहां तक अफसर द्वारा द्वारा काम के सत्यापन के एवज में मांगी जाने वाली कमीशन से परेशान होकर 6 वनकर्मियों ने भी एम आर साहू के खिलाफ उपनिदेशक से शिकायत कराई है. सभी मामलों को लेकर हफ्ते भर पहले की उप निदेशक वरुण जैन ने पीसीसीएफ को 1050 पन्नों की चार्जशीट सौंप दी है.
जैन ने बताया कि अवैध कटाई करने वाले में 25 को आरोपी बनाया गया है. इनमें से अब तक 15 को पकड़ा जा चुका है. कार्रवाई जैसे जैसे आगे बढ़ते गई. एसडीओ की करतूतों की पोल खुलती गई. उपनिदेशक जैन ने बताया कि सभी मामलों की जांच डिविजन स्तर पर जांच हो गई है. फर्जी दस्तावेज मामले में जल्द ही एफआईआर कराई जा रही है.
कोर जोन से अवैध कटाई करने के मामले में 25 को आरोपी बनाया गया था. दिसंबर में धर पकड़ जारी थी. उसी वक्त एरिया का डिप्टी रेंजर डी एल साहू के अभिरक्षा से 2 आरोपी भाग गए थे. जांच में लापरवाही मिली है. मामले में अब तक एंटी पोचिंग टीम ने 15 आरोपी को गिरफ्तार किया है.
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गिरफ्तार आरोपियों के बयान, मोबाइल कॉल रिकार्डिंग से संलिप्त अफसरों पर विभाग शिंकजा कसना शुरु दिया है. लगातार कार्रवाई के बीच एसडीओ कार्रवाई में बाधा डालने तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे थे. जिसका जिक्र भी चार्ज शीट में किया गया है.
दाखिल चार्ज सीट में बताया गया है कि रिसगाव क्षेत्र में अक्टूबर माह में रेत परिवहन करते एक ट्रैक्टर को पकड़ा गया. वन अपराध अधिनियम के तहत कार्यवाही भी किया गया. लेकिन लेन-देन कर छोड़ दिया गया. इस कार्रवाई में लीपापोती कर उच्च कार्यालय को अवगत कराने की प्रकिया को फर्जी तरीके से अंजाम दिया गया.
सील, लेटर हेड और मेल की प्रकिया को फर्जी तरीके से प्रोसेस किया गया. इस मामले में कोर्ट को ही जप्त ट्रेक्टर को छोड़ने का अधिकार था. लेकिन एसडीओ ने फर्जी तरीके से छोड़ दिया. वरुण जैन ने 10 मार्च को पुलिस सुरक्षा के बीच नगरी स्थित एसडीओ कार्यालय का तोड़कर दस्तवेज जब्त कर कार्रवाई को सील कर दिया है.
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एसडीओ के खिलाफ उन्ही के उच्च अधिकारी द्वारा पुख्ता जांच कर साक्ष्य के साथ लगातार मामला उच्च कार्यलय को सौंपा जा रहा. बावजूद इसके कार्रवाई तो दूर एक एक नोटिस तक जारी नहीं हुआ. एसडीओ अपने पूर्व कार्यकाल में अनियमितता के चलते 3 बार निलंबित किए जा चुके हैं.
अब वे एसडीओ एसोसिएशन के प्रमुख हैं. ऐसे में उच्च अफसरों पर भी कार्रवाई न करने का दबाव होने का अंदेशा है. लेकिन इस तरह के पुख्ता मामले में कार्रवाई न होना ईमानदार अफसरों का मनोबल गिर रहा है.
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