Monday, May 13, 2024
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कोरोना के डर से 3 साल तक महिला ने खुद को बच्चे के साथ कैद में रखा, सिलेंडर तक नहीं मंगवाया, हीटर पर खाना बनाया, पति को भी नहीं आने दिया, 3 साल बाद दरवाजा तोड़कर निकाला गया बाहर

गुरुग्राम : कोरोना का एक ऐसा दौर था. जब पूरी दुनिया में लोगों ने खुद को घरों में बंद कर लिया था. लेकिन अब लोगों की जिंदगियां पहले जैसी हो गई हैं. क्योंकि अब कोरोना वायरस का खतरा लगभग टल गया है. देशभर के लोगों ने वैक्सीन की डोज ले ली है. खतरे से बाहर निकलने के बावजूद अब भी लोग सावधानी बरत रहे हैं. कई लोग आज भी वायरस से दहशत में हैं. एक ऐसी ही खबर दिल्ली से सटे गुरुग्राम से आई है.

रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के गुरुग्राम के सेक्टर 29 पुलिस थाने की चकरपुर चौकी इलाके में एक महिला मुनमुन माझी ने कोरोना से खौफजदा मां ने अपने 10 साल के बच्चे के साथ बीते 3 साल से घर में कैद कर लिया था. उसके पति ने जब जानकारी पुलिस को दी तो चाइल्ड वेलफेयर टीम के साथ चकरपुर इलाके में पुलिस पहुंची और मासूम और उसकी मां को रेस्क्यू किया. दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहां उनका इलाज चल रहा है.

बताया जा रहा है कि 2020 में पहले लॉकडाउन के बाद सरकार ने प्रतिबंधों में ढील थी. तभी महिला का पति इंजीनियर सुजान माझी बाहर काम करने गया था. जब वह घर लौटा तो महिला ने उसे घर में घुसने की इजाजत नहीं दी. सुजान ने उसी इलाके में एक घर किराए पर ले लिया. सुजान ने वीडियो कॉल के जरिए सभी फर्ज को पूरा किया. वह उनका मासिक किराया और अपने बेटे की स्कूल की फीस भी चुकाता रहा. अपने बच्चे और पत्नी के लिए किराने का सामान और सब्जियां खरीदकर मुख्य दरवाजे पर छोड़ देता था.

जब मुनमुन की रसोई का गैस सिलेंडर खत्म हुआ तो उसने उसे बदलवाने से इनकार कर दिया. इसके बजाए उसने खाना पकाने के लिए इंडक्शन हीटर का इस्तेमाल किया. उसे डर था कि गैस सिलेंडर देने वाला कर्मचारी आएगा. तो कोरोना संक्रमण हो जाएगा.

सुजान ने उसे मनाने की कई कोशिशें की. लेकिन बात नहीं बनी. यहां तक ​​कि उसने अपने ससुराल वालों से मुनमुन से बात करने और उसे कैद से बाहर आने का अनुरोध करने के लिए भी कहा. लेकिन मुनमुन अपने फैसले पर अडिग थी. मुनमुन का कहना था कि वह अपने बच्चे के साथ तब तक ऐसे रहेगी जब तक देश में बच्चों के लिए कोविड का टीका नहीं आ जाता.

पति ने थक हार कर पुलिस अधिकारियों सेमदद की अपील की. पुलिस ने भी पति का साथ दिया और वे स्वास्थ्य विभाग और बाल कल्याण विभाग की टीम के साथ मुनमुन के घर आए. पुलिस ने पत्नी से दरवाजा खोलने के लिए कई बार अनुरोध किया. जब वह नहीं मानी तो पुलिस को दरवाजा तोड़ना पड़ गया. इसके बाद दोनों को फ़ौरन इलाज के लिए सिविल अस्पताल ले जाया गया.

दोनों मां-बेटे साबुन से धोने के बाद फल जैसी चीजों को खाते थे. बेटा 3 साल से घर से ऑनलाइन जूम के जरिए पढ़ाई कर रहा था. ताकि उसकर सिलेबस पूरा हो सके. कोविड के डर से बेटे समेत खुद को 3 साल तक घर में कैद करने वाली महिला सिर्फ इसलिए बाहर नहीं निकली क्योंकि उनके बेटे को कोरोनारोधी वैक्सीन नहीं लगी थी. वह कहती थी जब तक उनके बेटे को वैक्सीन नहीं लग जाती वह उसे बाहर नहीं निकलने देगी और न ही खुद निकलेगी.

बताया जा रहा है कि जब बच्चे की उम्र 7 साल थी. तभी से बच्चे और उसकी मां ने सूरज की रौशनी नहीं देखी. अधिकारियों ने बच्चे और मां दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया है. कमरे में 3 साल से जमा कूड़ा-कचरा देख अधिकारी दंग रह गए. इस समय बच्चे की उम्र 10 साल है और उसकी मां की उम्र करीब 40 साल है.

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