Thursday, May 16, 2024
Homeअजब-गजब30 से ज्यादा गांवों में अचानक गायब हुए चुनावी बैनर-पोस्टर, मूलभूत सुविधाओं...

30 से ज्यादा गांवों में अचानक गायब हुए चुनावी बैनर-पोस्टर, मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे ग्रामीण, चुनाव बहिष्कार को लेकर बैठकों का दौर जारी

गरियाबंद : उदंती अभ्यारण्य के भीतर बसे 30 से भी ज्यादा गांव में अचानक गायब हो गए चुनावी बैनर पोस्टर, चुनाव बहिष्कार के लिए बैठकों का दौर भी शुरु हो गया. ग्रामीणों का आरोप है कि 20 साल से मूलभूत सुविधाओं की मांग के लिए जूझ रहे हैं. इस बार मतदान नहीं करेंगे.
वहीं इस पर प्रशासन का दावा है कि चुनाव बहिष्कार नहीं होगा. मांगे पुरी की गई है. उदंती सीता नदी अभ्यारण के भीतर बसे कई गांव में इन दिनों चुनाव बहिष्कार को लेकर बैठकों का दौर जारी है. प्रशासन के लाख समझाइश और जागरुकता अभियान के बावजूद कई गांव के लोग आज भी चुनाव बहिष्कार के लिए अड़े हुए हैं.
बताया जा रहा है कि बहिष्कार का फैसला लेने आज साहेबिन कछार में ग्रामीण बैठक करेंगे. समय 10 बजे तय था. टीम गांव के चबूतरे के पास 11 बजे पहुंची तब तक 15 से 20 लोग ही आए थे. यहां पंचायत साहेबिन कछार के अलावा आश्रित ग्राम नागेश, करलाझर व कोदोमाली के लोगो को बुलाया गया था.12 बजने से पहले 100 की तादाद में लोग इक्ट्ठा हो गए. ग्राम के पूर्व सरपंच रुपसिंह मरकाम, अर्जुन नायक इस बैठक को लीड कर रहे थे. ग्राम के प्रमुख करनसिंह नाग, तिलक मरकाम, रोहन मरकाम, चंद्रभान जैसे कई भूंजिया नेता मौजूद थे. करीब एक बजे तक चली.
इस बैठक में उक्त दोनों मुखिया ने परेशानियों को गिनाया फिर समाधान के लिए पिछले 20 साल किए संघर्ष को बताया गया. कहा गया कि कोई भी राजनीतिक दल उनकी समस्या को नही सुलझा पाया. सभी सिर्फ इस्तेमाल करते हैं. इन्हें इस बार वोट नही देने का संकल्प लेकर 2014 में किए गए चुनाव बहिष्कार की तरह इस बार भी बहिष्कार को कामयाब बनाने का फैसला लिया गया. जिसमें सभी ने सहमति दे दिया.
अर्जुन नायक ने कहा कि 20 पंचायत के द्वारा गठित किसान संघर्ष मोर्चा ने पहले 4 अप्रैल को प्रशासन के पास ज्ञापन सौंपा मांगे पुरी करने कहा गया था. फिर 15 अप्रैल को जिला प्रशासन को एक और ज्ञापन सौंपा गया, मांगे नहीं मानी गई. इसलिए अब बहिष्कार के फैसले को अंतिम रुप देने आज आम सहमति बनाई गई.
अर्जुन ने दावा किया की उनके इलाके के 5 पंचायत ने हफ्ते भर पहले बम्हनी झोला में बैठक किया. कूल 18 गांव के प्रतिनिधि शामिल थे. इन सभी पंचायत में बहिष्कार का असर दिखेगा.
ताजा खबर से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/LNzck3m4z7w0Qys8cbPFkB
ग्रामीणों की प्रमुख मांग में सड़क और पूल शामिल है. जिसके अभाव में बरसात के दिनों में गर्भवती की जाने जाती है. तेंदूपत्ता तुड़ाई पर लगी रोक को हटाने, लंबित वन अधिकार पट्टा जारी करने, विद्युत विहीन ग्राम को विद्युतीकरण, स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार दिलाने, शिक्षक की कमी दूर करने, इंदागांव के लिए बजट में शामिल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निर्माण, उप तहसील की स्थापना, बैंक खोलने जैसे मांग के अलावा कई दूसरी मांगे शामिल थी.
मैनपुर एसडीएम तुलसीदास मरकाम ने कहा कि अभ्यारण्य इलाका होने की वजह से ज्यादातर मांग के लिए एनओसी का मामला दिल्ली में लटका है. आचार सहिता में जो मांगे मानी जा सकती थी उन्हें पुरा भी किया गया है. जो आचार संहिता हटने के बाद हो सकते हैं. उन्हें बाद में किया जाएगा. ग्रामीणों को विस्तृत रुप से उनकी मांगों को समझा दिया गया है. कोई भी गांव में चुनाव बहिष्कार नहीं होगा.
अभ्यारण्य के भीतर मौजूद इंदागांव, कोयबा, बम्हनी झोला, करलाझर, नागेश, साहेबिन कछार, घुमरापदर, पीपलखुटा, जैसे 30 से ज्यादा अंदरूनी गांव का मुआयना किया गया. जिसमें पता चला माह भर पहले तक गांव में भाजपा के बैनर पोस्टर लगे हुए थे. लेकिन 15 से 20 दिन पहले धीरे-धीरे सभी झंडे बैनर उतार दिए गए.
आलम ऐसा भी कि कोयबा में नेशनल हाइवे से लगे एक भाजपा नेता के घर में भी पार्टी का झंडा नहीं लगा दिखा जबकि इन्हें 20 बूथों में प्रचार सामग्री वितरण करने का जिम्मा दिया गया था. अंदरुनी इलाके में कई कार्यकर्ता ऐसे भी दिखे जिनके घरों में पार्टी झंडा से भरा बोरियो का ढेर जस का तस पड़ा मिला. वजह जानने किए गए सवाल के बिच जवाब के नाम पर ज्यादातर ने कहा कि आपको इससे क्या लेना देना. कुछ ने इसे अपना आंतरिक मामला बता कर पल्ला झाड़ लिया. तो कुछ ने बताया की माहौल ठीक नहीं. इस विषय पर बात करने का इसे सही समय नहीं होना बताया.
ताजा खबर से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/LNzck3m4z7w0Qys8cbPFkB
सूत्र बताते हैं कि पिछले एक महीने में इन इलाकों में माओवादी गतिविधि बढ़ गई है. कहा जाता है लंबित मांगों को लेकर बहिष्कार कर रहे गांव के अलावा कुछ गांव ऐसे भी है जहां मावोवादियों ने वोट नहीं डालने की अपील कर दिया है. ग्रामीणों में थमा प्रचार-प्रसार और उतरे झंडे बैनर के पीछे बढ़ी हुई आवाजाही को माना जा रहा है.
अमित तुकाराम कांबले एस पी गरियाबंद ने बताया कि पिछले चुनाव में मिली अनुभव को देखते हुए इस बार सर्चिंग बढ़ा दी गई है. संवेदनशील इलाकों का चिन्हांकन किया गया है. गांव-गांव में हमारी फोर्स पहुंचकर मतदान के पहले भयमुक्त और विश्वास का माहौल बना लेंगे. मतदान तिथि तक हम लोगों के मन से डर हटाकर विश्वास और भयमुक्त वातावरण तैयार करने में कामयाब रहेंगे.
ताजा खबर से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/LNzck3m4z7w0Qys8cbPFkB

Most Popular

error: Content is protected !!