Tuesday, May 14, 2024
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ईसाई धर्म छोड़कर इस्लाम कुबूल करने वाले फादर हिलायरिन हेगी सोशल मीडिया पर चर्चा विषय बने

मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैलिफोर्निया के मशहूर फादर हिलारियन हेगी (Hilarion Heagy) ने ईसाई धर्म छोड़ने के बाद इस्लाम धर्म अपना लिया है. हिलारियन हगी ने इस्लाम कुबूल करने के बाद नाम बदलकर सैद अब्दुल लतीफ़ रख लिया है. उन्होंने कहा कि फादर हिलारियन हेगी ने कहा कि उनका इस्लामिक धर्म में परिवर्तन “घर वापसी” जैसा है और वास्तव में “इस्लाम में वापसी” है.

हिलायरिन पहले एक रूसी रूढ़िवादी भिक्षु थे. 2003 के आसपास उन्होंने एंटिओचियन ऑर्थोडॉक्स चर्च में ज्वाइन किया. उन्होंने अपनी दयालुता से अपने अनुयायियों के बीच सम्मान प्राप्त किया था. इसके बाद साल 2017 में पूर्वी कैथोलिक चर्च में शामिल हुए. इसके बाद उन्होंने सेंट नाजियान्ज़ के मठ से ग्रेजुएट किया और बीजान्टिन कैथोलिक पादरी बन गए.

हिलारियन ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा कि इस्लाम धर्म अपनाने के बाद वह “शांति, खुशी और राहत” महसूस कर रहे हैं. उन्हें ऐसा लग रहा है जैसे घर ले जाया गया हो. हेगी ने कहा कि जब से उन्होंने इस्लाम में अपने धर्मांतरण की खबर की घोषणा की. तब से उन्हें मुसलमानों से हार्दिक संदेश मिल रहे हैं. अब्दुल लतीफ ने अपने बयान में कहा कि इस्लाम कुबूल करने के बाद मुसलमानों की तरफ से मिल रहा प्यार गैर मामूली है. उन्होंने कहा कि कि मैंने कभी भी इस तरह की मेहमान नवाजी का उम्मीद नहीं की थी.

हिलारियन ने कहा कि मैं वास्तव ईमान की गहराई में दाखिल हो चुका हूं. इस्लाम और इस धर्म के लोगों लिए मेरे अंदर प्यार है और पैगंबर के लिए दिल में अथाह प्यार और श्रद्धा है.

अपना धर्म बदलने के बाद फादर हिलारियन हेगी ने कहा है कि पवित्र कुरान के ( पारा नम्बर 7: आयत नम्बर 172) में लिखे एक संदेश ने उनकी आंखे खोल दी. उन्होंने अपना ईसाई धर्म छोड़कर इस्लाम अपना लिया.

कुरान को चार बार पढ़कर मुसलमान बनी ब्रिटेन की लड़की

लंदन: मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंग्‍लैंड के प्‍लीमेथ में क्रिश्चियन लड़की ने कुरान पढ़ने के बाद इस्‍लाम कुबूल कर लिया. इस लड़की का नाम मरियम है और कहा जा रहा है कि उसने 4 बार कुरान को पढ़कर मुसलमान बनने का फैसला किया. उसके इस फैसले से उसके परिवार वाले हैरान हैं. लेकिन वो अपनी जिद पर रही. उसकी दादी ने धर्म बदलने के इस फैसले को उसका जिंदगी का एक दौर करार दिया है. जबकि इंग्‍लैंड के प्‍लीमेथ में मुसलमानों की आबादी काफी कम है. इस साल रमजान के महीने में यहां की 3 महिलाओं ने इस्‍लाम कुबूल किया. रमजान मुसमानों के लिए काफी पवित्र माह होता है. मरियम का कहना है कि इस्‍लाम ने उसकी जिंदगी को काफी बदलकर रख दिया है.

मरियम जो कि क्रिश्चियन चर्च ऑफ इंग्‍लैंड में पली बढ़ी. हमेशा से ईश्‍वर में यकीन रखती थीं. जब वह किशोरावस्‍था में थीं तो हमेशा यह सवाल करती कि हर रविवार को चर्च जाना क्‍यों जरूरी है. लेकिन वह फिर भी चर्च जाती. क्‍योंकि उनके घर में हर कोई रविवार को चर्च जाता था. जब वह 20 साल की थी जो क्रिश्चियनिटी की तरफ फिर से उनका झुकाव हुआ और उन्‍होंने इवानगेलिकल चर्च जाना शुरू किया.

मरियम यहां से पाइटी इस्‍लामिक सेंटर पहुंचीं और इस तरह से वह इस्‍लाम के प्रति आकर्षित हुईं. यहां पर मरियम ने शाहदा यानी प्रण किया था जो धर्म के लिए एक ऐलान की तरह होता है. इस्‍लाम को स्‍वीकारते समय नए मुसलमानों को इसे बार-बार करना होता है. उनका कहना है कि वह धीरे-धीरे इस्‍लाम की तरफ आई थीं. यूनिवर्सिटी में कई तरह के धर्मों के बारे में उन्‍होंने पढ़ा था लेकिन फिर उन्‍होंने इस्‍लाम को अपनाने का फैसला किया.
2022 में रमजान के महीने में मरियम ने 4 बार कुरान को पढ़ा और फिर कई तरह की रिसर्च किया. मरियम की मानें तो शुरुआत में वह सिर्फ कुरान में लिखी हुईं बातों में ही रूचि रखती थी. कुछ लोग इसकी बातों को गलत समझते हैं और कहते हैं कि यह नफरत फैलाती है और हिंसा के बारे में बताती है. वह सिर्फ यह जानना चाहती थी कि आखिर कुरान में क्‍या लिखा है. उन्‍हें कहीं भी नफरत या हिंसा के बारे में कुछ लिखा हुआ नहीं मिला. उन्‍हें लगा कि इस धर्म में कुछ तो ऐसा होगा जो यह दुनिया का तेजी से बढ़ता हुआ धर्म है.
मरियम ने कहा कि मेरा विश्वास मुझे खुशी दे रहा है और मैं हमेशा सोचती रहती हूं कि चाहे जो हो जाए, हमारी सभी परेशानियों से बड़ा अल्लाह है.

तमिल की फेमस मोटिवेशनल स्पीकर सबरीमाला ने क़ुबूल किया इस्लाम, कहा- मुसलमानो के प्रति सबकी नफ’रत देख कर पढ़ना शुरू किया था क़ुरान पाक

मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तमिलनाडु की जानी मानी साउथ इंडियन मोटिवेशनल स्पीकर सबरीमाला जयकंदन ने इस्लाम कबूल कर लिया. तमिल मोटिवेशनल स्पीकर और शिक्षिका सबरीमाला जयकांतन ने काबे शरीफ के गिलाफ को पकड़ कर शपथ ली और यह घोषणा की है कि उसने इस्लाम धर्म अपना लिया है और काबा शरीफ में अपना नाम फातिमा सबरीमाला रखा है. पैगंबर मुहम्मद साहब की बेटी का नाम फातिमा था.

मक्का की अपनी पहली यात्रा पर फातिमा ने कहा, “मैंने खुद से पूछा कि दुनिया में मुसलमानों के खिलाफ इतनी नफ’रत क्यों है? मैंने एक तटस्थ व्यक्ति के रूप में कुरान पढ़ना शुरू किया. तब मुझे सच्चाई का पता चला. अब मैं खुद से ज्यादा इस्लाम से प्यार करती हूं.”

“एक मुसलमान होने के लिए यह एक महान विशेषाधिकार और सम्मान है. ” इसके बाद इस शिक्षिका ने कहा, मुसलमानो से रिक्वेस्ट की वो क़ुरआन सबको इंट्रोडस करें. मक्का पहुंच कर उन्होंने मुसलमानो से कहा “आप लोगों के पास अद्भुत ‘पुस्तक’ है. आप इसे अपने घरों में क्यों छिपा रहे हैं. दुनिया को इसे पढ़ना चाहिए.”

सबरीमाला का जन्म 26 दिसंबर 1982 को Madurai. उन्होंने जयकांतन से शादी की और उनका एक बेटा है जिसका नाम जयचोलन है. सबरीमाला ने अपनी शिक्षा डिंडीगुल, तमिलनाडु में की, और 2002 में कुड्डालोर जिले के कट्टूमन्नारगुडी के पास एलेरी स्कूल में एक स्कूल शिक्षिका के रूप में शामिल हुईं.

तमिलनाडु की यह फेमस हस्ती 2002 से सामुदायिक सेवा में शामिल है. वह शैक्षिक समानता और लड़कियों की सुरक्षा और महिलाओं के हक के लिए लड़ रही है. उन्होंने 2017 में तमिलनाडु में “विजन 2040” नामक एक संगठन शुरू किया. इस संगठन का लक्ष्य लड़कियों की सुरक्षा और एक शिक्षा प्रणाली लाना है.

मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर सबरीमाला 2000 से ज्यादा स्टेज शो दिए हैं. वह 200 से ज्यादा प्लेटफार्मों पर एक पैनल स्पीकर रही हैं और वेंडर टीवी, न्यूज 7 टीवी, जया टीवी वगैरह पर कई टीवी कार्यक्रमों का संचालन करती हैं. वह कहती हैं, उनके भाषण व्यवसाय के लिए नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिए हैं.

बताया जा रहा है कि वह लड़कियों की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए पूरे तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 6 लाख लड़कियों से मिल चुकी हैं. उन्होंने बालिका संरक्षण पर एक किताब भी लिखी है और इसे 5000 स्कूली लड़कियों को वितरित किया है. कोयंबटूर में यौन शोषण के मामले में मरने वाली लड़की ऋतन्याश्री के परिवार के लिए एक लाख रुपए की मदद की व्यवस्था की.

फातिमा सबरीमाला उर्फ ​​सबरीमाला कहती हैं कि महिलाओं को बच्चे पैदा करने या रसोई मशीन के रूप में देखा जाता है. महिला लिबरेशन पार्टी इन रूढ़ियों को तोड़ देगी और तमिलनाडु में महिलाओं की स्थिति को बदलकर मानेगी.

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