Saturday, April 27, 2024
Homeराजीनीतिराजनीतिक उथल-पुथल के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री से मनोहर लाल खट्टर का...

राजनीतिक उथल-पुथल के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री से मनोहर लाल खट्टर का इस्तीफ़ा, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले JJP से टूटा गठबंधन

चंडीगढ़ : हरियाणा के संसदीय कार्य मंत्री चौधरी कंवर पाल ने कहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पूरी कैबिनेट के साथ मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया. कंवर पाल ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्यपाल बंडारु दतात्रेय ने इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया. लेकिन इससे भाजपा की सरकार को कोई खतरा नहीं है.
जब कंवर पाल से पत्रकारों ने पूछा कि अब मुख्यमंत्री कौन बनेगा तो उन्होंने कहा कि सीएम साहब ही सीएम रहेंगे. हरियाणा में बीजेपी और दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी ने मिलकर सरकार बनाई थी.
दुष्यंत चौटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम बने थे. जेजेपी और बीजेपी के बीच गठबंधन टूटने की बात कही जा रही है. इसके बाद ही मुख्यमंत्री ने इस्तीफ़ा देने का फ़ैसला किया.

हरियाणा के नए मुख्यमंत्री के रूप में नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को शपथ ले ली. सैनी के साथ पांच अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली. सैनी के साथ कंवर पाल, मूलचंद शर्मा, रणजीत सिंह, जयप्रकाश दलाल और डॉ. बनवारी लाल ने मंत्री पद की शपथ ली. इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी मौजूद थे.
हरियाणा में मुख्यमंत्री को ऐसे समय में बदला गया है. जब लोकसभा चुनाव की घोषणा होने में कुछ ही दिन बचे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को हरियाणा में ही थे. गुरुग्राम में एक सरकारी कार्यक्रम में उन्होंने खट्टर की जमकर तारीफ की थी.। तब किसी को यह अंदाजा भी नहीं था कि अगले ही दिन खट्टर को इस्तीफा देना पड़ जाएगा. मनोहर लाल खट्टर हरियाणा की करनाल सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं.
कांग्रेस नेता और हरियाणा के नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा ने बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन को स्वार्थ के लिए बनाया गठजोड़ कहा है. हुड्डा ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, “एक और समझौता हो गया हरियाणा में. पहले 2019 में जब ये सरकार बनी थी तब स्वार्थ में ये (बीजेपी-जेजेपी) यार बन गए थे. अब एक और समझौता हो गया गठबंधन अलग करने का.”
हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं. इनमें से 41 विधायक बीजेपी के हैं और 10 जेजेपी के विधायक हैं. बीजेपी दावा कर रही है कि उसे पाँच निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, बीजेपी और दुष्यंत चौटाला की जेजेपी हरियाणा में लोकसभा चुनाव स्वतंत्र रुप से लड़ेगी.
हरियाणा लोकहित पार्टी के अध्यक्ष गोपाल कांडा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ”मेरे ख़्याल से गठबंधन लगभग टूट गया है. लोकसभा चुनावों में बीजेपी हरियाणा की 10 की 10 सीटें जीतेगी. बीजेपी के लिए कोई संकट नहीं है. मैंने पहले भी कहा है कि सभी निर्दलीय विधायकों का बीजेपी को समर्थन है. हम साढ़े चार साल से बीजेपी के साथ खड़े हैं और आगे भी रहेंगे.”
कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, ”अभी जब पूरा घटनाक्रम हो जाएगा, तब उस पर विस्तार से बात करेंगे. मगर अभी हरियाणा में जो हो रहा है, वो हरियाणा की जनभावना के दबाव में हो रहा है. हरियाणा की जनता ने परिवर्तन का मन बना लिया है. हरियाणा का जन-जन नाराज़ है, निराश है. हरियाणा में ये सब इसी के दबाव में हो रहा है.”
निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत ने 12 मार्च को दावा किया है कि गठबंधन किसी भी वक़्त टूट सकता है. लेकिन कुछ निर्दलीय विधायक खट्टर के साथ हैं.

रावत कहते हैं, ”मैं कल मुख्यमंत्री से मिला था. हमने पहले ही सीएम मनोहर लाल सरकार को अपना समर्थन दे दिया है. हमने लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति पर भी बात की. मुझे ये समझ आया कि जेजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने की शुरुआत हो चुकी है.”
रावत पृथला सीट से हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीते थे. एक और निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंडर ने कहा कि निर्दलीय विधायक बीजेपी सरकार का समर्थन कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि जेजेपी ने दिल्ली में बैठक बुलाई है और ये बैठक दुष्यंत चौटाला के आवास पर होगी. 10 मार्च को बीजेपी के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने पार्टी से इस्तीफ़ा देकर कांग्रेस का हाथ थामा था.

ताजा खबर से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/LNzck3m4z7w0Qys8cbPFkB

इस्तीफा देने का बाद कौन चलाता है राज्य

जानकारी के मुताबिक कोई भी मुख्यमंत्री अपना इस्तीफा राज्यपाल को देता है. लेकिन इस्तीफा देने के बाद वो मुख्यमंत्री तब तक राज्य का कार्यवाहक सीएम बना रहता है, जब तक नए मुख्यमंत्री शपथ नहीं लेते हैं. जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री जब राज्य के राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपते हैं, तो राज्यपाल उन्हें तब तक राज्य की जिम्मेदारी संभालने का निर्देश देते हैं, जब तक कोई नया सीएम नहीं बनता है.

राष्ट्रपति शासन

अब दूसरा सवाल ये उठता है कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की जिम्मेदारी कौन संभालता है. जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की कमान राज्यपाल के हाथों में होती है और वही प्रदेश से जुड़े सभी कार्यों की जिम्मेदारी संभालते हैं. हालांकि कार्यवाहक मुख्यमंत्री के अधिकार सीमित हो जाते हैं. वो इस दौरान कोई भी नई योजना की शुरुआत नहीं कर सकते हैं. लेकिन कानून व्यवस्था को बनाए रखना उनका दायित्व है. इसलिए वो ऐसे मामलों पर निर्देश दे सकते हैं.

प्रधानमंत्री

देश के प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने या कार्यकाल पूरा होन पर भी राष्ट्रपति उन्हें कार्यवाहक पीएम के रुप काम करने का निर्देश देते हैं. इतना ही नहीं नए प्रधानमंत्री के शपथ के बाद ही वो अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होते हैं.

ताजा खबर से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/LNzck3m4z7w0Qys8cbPFkB

Most Popular

error: Content is protected !!