Sunday, April 28, 2024
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बिलकिस बानो गैंगरेप के सभी 11 दोषियों की रिहाई रद्द, फिर जाना होगा जेल, 2022 में गुजरात सरकार ने किया था रिहा, जज ने कहा- गलत था फैसला

गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत मिली है. जहां सर्वोच्च न्यायालय ने बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों को सजा में छूट देने वाले गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है. साल 2022 के अगस्त महीने में बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था. सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

सजा माफी के लिए गुजरात सरकार सक्षम नहीं:- सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि कोर्ट का मानना है कि राज्य, जहां किसी मुजरिम पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वह दोषियों की माफी याचिका पर फैसला लेने में सक्षम है. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि दोषियों की सजा माफी का आदेश पारित करने के लिए गुजरात राज्य सक्षम नहीं है. बल्कि महाराष्ट्र सरकार सक्षम है. बता दें कि दोषियों को सजा मुंबई कोर्ट की तरफ से दी गई थी.

अदालत के साथ धोखाधड़ी हुई:- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा है कि कोर्ट का मानना है कि 13 मई, 2022 का फैसला (जिसने गुजरात सरकार को दोषी को माफ करने पर विचार करने का निर्देश दिया था) अदालत के साथ धोखाधड़ी करके और भौतिक तथ्यों को छिपाकर प्राप्त किया गया था. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दोषियों ने साफ हाथों से अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया था.

उम्र कैद की सजा मिली थी:- मुंबई की एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को सभी 11 दोषियों को बिलकिस बानो के गैंगरेप और परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई थी. इस फैसले को बंबई हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था. गौरतलब है कि गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था. उस वक्त वह 21 साल की थीं और वह पांच महीने की गर्भवती थी. परिवार के मारे गए सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी.

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बिलकिस बानो मामले पर फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश नागरत्ना ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि दोषियों को सजा इसलिए दी जाती है ताकि भविष्य में इस तरह के अपराध न दोहराए जाएं. भविष्य में ऐसे अपराधों पर रोक लगे. यही नहीं अपराधी को सुधरने का भी मौका दिया जाता है, लेकिन पीड़ित की तकलीफ को भी समझना होगा, उसका एहसास भी होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा महिला सम्मान की हकदार है. यही नहीं दोनों ही राज्य महाराष्ट्र और गुजरात के लोअर कोर्ट और उच्च न्यायालय यानी हाई कोर्ट के फैसले ले चुके हैं ऐसे में जरूरत नहीं है कि इस मामले में किसी तरह का दखल दिया जाए.

गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था. उनके परिवार के कई लोगों की हत्या भी कर दी गई थी. इस कांड में 11 दोषियों के खिलाफ महाराष्ट्र में मामला चला था. इस बीच केंद्र और गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा माफ करने से जुड़े मूल रिकॉर्ड पेश किए थे. वहीं गुजरात सरकार ने दोषियों कि रिहाई को उचित ठहराया और उन्हें रिहा कर दिया गया. वहीं अब शीर्ष अदालत ने इस केस में फैसला भी महाराष्ट्र सरकार को ही लेने की बात करते हुए दोषियों की रिहाई के फैसले को रद्द कर दिया है.

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