Sunday, May 19, 2024
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8640 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर हज के लिए मक्का पहुंचे शिहाब, केरल से माँ के पहुँचने के बाद उनके साथ करना चाहते हैं हज

नई दिल्ली : केरल राज्य के मल्लपुरम जिले के वेलंचेरी में रहने वाले शिहाब छोटूर पिछले साल 2 जून को केरल से हज यात्रा पर पैदल निकल पड़े थे और अपने जुनून के दम पर उन्होंने हज के लिए पवित्र शहर मक्का मुअज्जमा तक की दूरी तय कर ली है. शिहाब 370 दिनों में 8640 किलोमीटर की यात्रा कर पाक शहर मक्का शरीफ पहुंचे. केरल के मलप्पुरम जिले के वलनचेरी के रहने वाले शिहाब छोटूर ने 2 जून 2022 को हज करने के लिए अपनी मैराथन यात्रा शुरू की थी और अब जाकर इस महीने मक्का शरीफ पहुंचे हैं. अपनी पैदल यात्रा के दौरान शिहाब ने भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक और कुवैत की यात्रा की. मई के दूसरे सप्ताह में कुवैत से सऊदी अरब का बॉर्डर पार किया. सऊदी अरब में एंट्री लेने के बाद शिहाब मदीना शरीफ पहुंचे.

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मक्का जाने से पहले शिहाब ने मदीना शरीफ में 21 दिन बिताए. शिहाब ने मदीना और मक्का के बीच की 440 किलोमीटर की दूरी 9 दिनों में तय की. शिहाब अपनी मां जैनबा के केरल से मक्का शहर आने के बाद हज करेंगे. केरल के इस शख्स का एक यूट्यूब चैनल भी है. अपनी पैदल यात्रा को शख्स ने रोजाना अपने चैनल में अपडेट भी किया. शिहाब ने अपनी यात्रा में हर उस लम्हे को कैद किया. जो उन्होंने केरल से मक्का तक के सफर तय करने के दौरान देखा और महसूस किया.

पिछले साल शिहाब वाघा बॉर्डर पर पहुंचने से पहले देश के कई राज्यों से गुजरे. जिसके जरिए वह पाकिस्तान में प्रवेश करना चाहते थे. शिहाब को पाकिस्तान में एंट्री के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. क्योंकि पाक की सीमा में घुसने के लिए उनके पास वीजा नहीं था. ट्रांजिट वीजा पाने के लिए उन्हें वाघा के एक स्कूल में महीनों तक इंतजार करना पड़ा. आखिर में फरवरी 2023 में शिहाब एक ट्रांजिट वीजा पाने में कामयाब रहे और फिर पाकिस्तान में एंट्री मिली. इसके बाद एक शॉर्ट विराम के बाद शिहाब ने सऊदी अरब की यात्रा शुरू की. 4 महीने के बाद शिहाब छोटूर हज यात्रा के लिए अपनी मंजिल तक पहुंच चुके हैं.

जब गर्मियों में धूप की तपिश से बचने के लिए हम घर से बाहर निकलना इग्नोर करते हैं. ऐसे हालातों में भी केरल के एक शख्स ने अपनी धार्मिक आस्था की एक बहुत बड़ी मिसाल पेश की है. पिछले साल से ही Shihab Chottur का नाम काफी सुर्खियों में था.

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नेक और मजबूत इरादा लेकर हज के लिए निकले शिहाब ने काफी कठिनाइयों का डटकर सामना किया और आखिरकार अपनी मंजिल पर पहुंच गए. सऊदी के अफसरों ने भी उनकी मुलाकात की. इस मौके पर उन्होंने अपनी खुशी का इजहार करते हुए कहा कि हर काम कोशिश के बाद आसान है.

देश के आखरी छोर केरल के मलप्पुरम जिले के कोट्टक्कल के पास अठावनाड नामक इलाके के रहने वाले है. शिहाब जोखिम और तकलीफों से भरे लेकिन इस रूहानी सफर पर ऐसे दौर में निकले थे जब सारी दुनिया में चहलपहल मची हुई थी.

हज के लिए निकले शिहाब का कई जगहों पर हीरो की तरह स्वागत किया गया. वह केरल से निकलकर जिस-जिस जगह से चलते हुए गए. वहां पर सैकड़ों लोग उनके इस्तकबाल के लिए जमा हो गए. कई व्लॉगर्स भी उनकी इस यात्रा का प्रचार करते रहे. क्योंकि शिहाब 21 वीं सदी में भारत से पैदल हज यात्रा करने वाले पहले ही इंसान हैं. इस्लाम धर्म में हर उस व्यक्ति को में हज यात्रा अनिवार्य की गई है जो शारीरिक और आर्थिक रूप से संपन्न है.

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इंडोनेशिया के मोहम्मद खमीम ने हजारों किलोमीटर पैदल चलकर की हज यात्रा

मोहम्मद खमीम ने 9 हजार किलोमीटर चलने का रिकॉर्ड बना दिया. आपको जानकर हैरानी होगी कि साधारण से दिखने वाले शख्स ने पैदल चलकर हज का सफ़र किया. इंडोनेशिया का रहने वाले 28 साल के मोहम्मद खमीम सेतियावान ने नौ हजार किलोमीटर पैदल चल कर हज यात्रा की है. हर किसी के लिए यह खबर हैरान कर देने वाली है कि इस शख्स ने पैदल चलकर हज का सफ़र पूरा किया है.

हर मुसलमान ये चाहता है कि वह अपने जीवन में एक बार मक्का शरीफ जरूर जाए. फिर चाहे वह गरीब हो या अमीर. अपनी इस तमन्ना के आगे उसे अपने जिंदगी में शायद ही और कोई तमन्ना नजर आती हो. ऐसा ही ख्वाहिश मौहम्मद खमीम के दिल में थी. जिसे उन्होंने साधारण अंदाज में नहीं बल्कि बहुत सी कठिनाइयों का सामना करते हुए पूरा कर दिखाया. यकीनन यह कोई साधारण काम नहीं. आज के दौर में तो खासतौर से इसे चमत्कार कह दिया जाएगा.

क्योंकि इतने किलोमीटर पैदल चलकर रब की चौखट पर पहुंचने की घटना को लोग सीधा खुदा के करम से जोड़कर देखते हैं. कहा जा रहा है कि मौहम्मद खमीम के सिर पर भी जरूर खुदा का बेइंतिहा करम रहा होगा जिसके चलते उसने ये नामुमकिन काम को मुमकिन कर दिखाया.

दरअसल, कई बार किस्मत भी साथ नहीं देती. लेकिन जिनकी किस्मत में होता है वह इन्सान जरूर इस पाक मुकाम पर जा पहुंच पाता है. शायद मौहम्मद खमीम भी उन्हीं किस्मत वाले इंसानों में से एक रहे होंगे. तभी रब ने उन लोगों के बीच ले जाने की हिम्मत दी. जहां हर इंसान बराबर हो जाता है. मक्का में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता. वहां जाने वाला हर इंसान बराबरी का हक रखता है. भले ही इस दुनिया में ऐसे लोग भी हो जो इतने रईस हो कि उनसे अपनी सारी दौलत तक न खर्ची जाती हो लेकिन ये लोग भी वहां सभी इंसानों के बराबर ही होते हैं.

बेशुमार दौलत भी इस पाक मुकाम की पाकीजगी को कम नहीं कर सकती. दुनिया में बहुत सारे ऐसे गरीब मुसलमान भी हैं. जिनके घर में दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से बनती है. लेकिन किस्मत में लिखा होने की वजह से अल्लाह कोई न कोई रास्ता निकाल ही देता है. जिस वजह से वह हज पर चले जाते हैं. इसे लोग अल्लाह का करिश्मा ही समझते हैं. इंडोनेशिया का रहने वाले मौहम्मद खमीम सेतियावान भी ऐसे ही इंसान हैं.

3800 किलोमीटर साइकिल चला कर रूस से 52 दिन मे मक्का हज करने पहूंचे

11 साल के अब्दुल्लाह ने 3800 किलोमीटर साइकिल चला कर 52 दिन मे मक्का हज करने पहूंचे है. अब्दुल्लाह रूस से साइकिल से हज करने पहुंचे हैं. इतनी छोटी सी उम्र मे इतना लंबा सफर तय किया वो भी साइकिल से. बच्चे की हिम्मत को सलाम.

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