गरियाबंद। जिले में एक ऐसा स्कूल संचालित है जिसे पहली बार देखने पर समझ नही आता कि ट्रेन में स्कूल है या स्कूल में ट्रेन है। बच्चे इस अनोखे स्कूल से बेहद प्रभावित है। उच्चाधिकारियों के मार्गदर्शन में स्कूल के शिक्षकों की मेहनत से ये अनोखा स्कूल तैयार किया गया है।
कहां है ये अनोखा स्कूल
सबसे पहले तो आपको बतादें कि ट्रेन में स्कूल या स्कूल में ट्रेन जैसा दिखने वाला ये अनोखा स्कूल गरियाबंद विकासखंड का खट्टी प्राथमिक स्कूल है। स्कूल को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है कि पहली नजर में समझ नही आता कि ट्रेन में स्कूल है या स्कूल में ट्रेन है।
बच्चे बेहद प्रभावित
स्कूल के प्रभारी प्राचार्य गिरीश शर्मा ने बताया कि विद्यालय के नए लुक से बच्चे बेहद प्रभावित है। प्रभारी प्राचार्य ने बताया कि स्कूल में कुल 27 बच्चे अध्ययनरत है। जिनमे से अधिकांश बच्चे अबतक या तो ट्रेन नही देखे या फिर उसमें सफर नही किए। ऐसे में स्कूल का नया लुक देखकर बच्चों को लगता है कि वे ट्रेन में बैठकर पढ़ाई कर रहे है। इससे बच्चे बेहद प्रभावित है।
शाला अनुदान राशि से निर्माण
ट्रेन में स्कूल या स्कूल में ट्रेन जैसे दिखने वाले अनोखे स्कूल खट्टी प्राथमिक शाला के प्रभारी प्राचार्य ने बताया कि इस वर्ष शाला अनुदान राशि के लिए मिली राशि मे से महज 8 हजार रुपये खर्च करके स्कूल को यह लुक दिया गया है। उन्होंने बताया कि स्कूल के सभी 3 कमरों की बाहरी दीवारों को ट्रेन का लुक दिया गया है। इसके अतिरिक्त भवन के अंदर दीवारों पर भी बच्चों के पाठ्यक्रम से जुड़ी जानकारियां दर्शायी गयी है।
उच्चाधिकारियों का मिला सहयोग
प्रभारी प्राचार्य गिरीश शर्मा ने बताया कि बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि जागरूक करने के लिए उन्होंने अपने साथी नारायण चंदेल के साथ मिलकर यह अनोखा स्कूल तैयार किया है। उन्होंने बताया कि इसमें जिला शिक्षा अधिकारी करमन खटकर, जिला बीआरसीसी श्याम चन्द्राकर, गरियाबंद बीईओ आरपी दास, विकासखंड स्त्रोत समन्वयक एलएल साहू एवं संकुल समन्वयक जितेश्वरी साहू का भी विशेष योगदान रहा।
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