Thursday, May 16, 2024
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सड़क हादसे में पत्नी की मौत, सदमे में शिक्षक पति ने लगा ली फांसी, तीन महीने पहले हुई थी शादी, मां-बाप के इकलौते बेटे थे दोनों

हरदोई : लखनऊ राज्यमार्ग पर सोमवार की सुबह सड़क हादसे में एक नर्स की दर्दनाक मौत हो गई. नर्स अपने घर से टड़ियांव स्थित सीएससी जा रही थी. घटना की जानकारी मिलते ही पहुंची पुलिस ने मृत स्वास्थ्य कर्मी का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. उधर, पत्नी की मौत की खबे मिलते ही बदहवाश शिक्षक पति ने मौत को गले लगा लिया. कुछ ही देर में सब कुछ बरबाद होने से उनके घर वालों का रो-रो कर बुरा हाल है.
मिली जाकारी के मुताबिक सुरसा थाना क्षेत्र के 25 साल के योगेश कुमार पिता पुत्तू लाल की शादी करीब तीन महीने पहले ही कोतवाली शहर के धन्नुपुरवा की मणि कर्णिका गौतम के साथ हुई थी. योगेश पिहानी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय टीकमपुर में सहायक अध्यापक थे, जबकि पत्नी मणि कर्णिका टड़ियावा सीएचसी में स्टाफ नर्स थी.
सोमवार की सुबह दाऊदपुर से पहले योगेश स्कूल के लिए बाइक से रवाना हुआ था. कुछ ही देर बाद मणि कर्णिका स्कूटी से CHC के लिए निकली. वह पचकोहरा चौराहे के पास पहुंची ही थी. तभी तेज़ रफ्तार अज्ञात वाहन उसे कुचलते हुए निकल गई. हादसे में मणि कर्णिका की दर्दनाक मौत हो गई.
उधर, योगेश स्कूल पहुंचा. इसी बीच उसे व्हाट्सअप ग्रुप से हादसे के बारे में पता चला. बताते है कि योगेश वहां से किसी को कुछ बताए बगैर बाइक से वापस लौट गया. उसके कुछ ही देर बाद पता चला कि योगेश ने घर पहुंच कर फांसी लगाकर खुद भी खुदकुशी कर ली. पत्नी की मौत के कुछ ही देर बाद पति के इस तरह से खुदकुशी की खबर ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया. इतनी जल्दी एक हंसता-खेलता घर-बार ऐसे बर्बाद हो जाएगा. किसी ने ख्वाब-ओ-ख्यालों तक में नहीं सोचा था. मणि कर्णिका और योगेश कुमार की मौत होने से जहां उनके घर वालों का रो-रो कर बुरा हाल है. वहीं न सिर्फ दाऊदपुर बल्कि उसके आस-पड़ोस के गांव वालों के आंसू नहीं रुक रहें है.
सड़क हादसे का शिकार हुई स्टाफ नर्स मणि कर्णिका जहां अपने घर की इकलौती थी. वहीं योगेश भी घर‌वालों का इकलौता था. बेटी की मौत की खबर से उसके मायके में चीख-पुकार मची हुई थी. उसके कुछ ही देर बाद जब पता चला कि मणि कर्णिका के पति योगेश ने भी खुदकुशी कर ली. इतना सुनते ही वहां हर तरफ मातम पसर हो गया.
दाऊदपुर के पुत्तूलाल का इकलौता बेटे योगेश कुमार बचपन से ही पढ़ने-लिखने में अव्वल थे. बेटे की पढ़ाई में दिलचस्पी को देख कर घर वाले उससे कोई भी घरेलू काम नहीं कराते थे. योगेश ने ठान रखा था कि वह पढ़-लिख कर शिक्षक बनेगा और वही उसने साबित भी किया. उसने 69000 भर्ती में आवेदन किया और उसे सहायक अध्यापक के तौर पर उसकी मेहनत का नतीजा भी मिला.
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