Tuesday, May 21, 2024
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एक ऐसा जिला जहां आईपीएस का काम कर रहे आईएएस

किसी भी जिले के प्रशासनिक विकास और सुरक्षा व्यवस्था के लिए दो अलग-अलग विभाग की भूमिकाएं महत्वपूर्ण हैं जहां प्रशासनिक अमले का नेतृत्व आईएएस अधिकारी करता है तो दूसरी ओर जिले में कानून और सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने के लिए आईपीएस अधिकारी की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है. इन दोनों अधिकारियों के कंधों पर पूरे जिले का कार्यभार होता है जिसे वे आपसी सामंजस्य के साथ बिना किसी दूसरे के विभाग में हस्तक्षेप किए पूरा करते हैं.

आईएएस अधिकारी की भूमिका और अधिकार

आईएएस अधिकारियों में समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता होती है. एक ऐसा परिवर्तन जिसकी समाज को विकास के लिए आवश्यकता होती है. एक आईएएस अधिकारी की महत्वपूर्ण स्थिति को ध्यान में रखते हुए, यह कहने योग्य है कि एक आईएएस अधिकारी की भूमिका चुनौतीपूर्ण होने के साथ-साथ संतोषजनक भी होगी. यदि रोमांचक नहीं है. एक आईएएस अधिकारी के कार्य नीति निर्धारण, क्रियान्वयन एवं फीडबैक सहित सरकारी मामलों का प्रबंधन करना. विभिन्न विभागों एवं निर्वाचित प्रतिनिधियों से परामर्श करना तथा विकास की दिशा में सामूहिक कदम उठाना. विभिन्न योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन हेतु आवंटित सार्वजनिक धन का प्रबंधन करना। विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं नीतियों के क्रियान्वयन की निगरानी करना प्राकृतिक आपदाओं, बड़ी दुर्घटनाओं एवं दंगों जैसी आपात स्थितियों के जवाब में राहत कार्यों के द्वारा प्रतिक्रिया देना एवं समन्वय करना. उदाहरण के लिए, कोविड-19 के दौरान एक आईएएस अधिकारी के कार्यों में कई गुना वृद्धि हुई है.

क्या होते हैं आईपीएस के अधिकार एवं कर्तव्य

आईपीएस सिविल सेवाओं में सबसे प्रतिष्ठित पदों में से एक है जो आईएएस के बाद आता है. ये कई विशिष्ट लाभों के साथ सरकार में सबसे अच्छे वेतन पर है, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) भारत की मुख्य तीन नागरिक सेवाओं में से एक है। 1948 में आईपीएस स्थापित की गई थी. गृह मंत्रालय को आईपीएस अधिकारियों के कैडर को नियंत्रित करने के लिए अधिकृत किया गया. 2011 के आंकड़ों के अनुसार, आईपीएस अधिकारियों का वर्तमान कैडर आकार 4730 है. उम्मीदवार जो यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा को सफलतापूर्वक पास करते हैं और आईपीएस के लिए दिए गए मापदंड प्राप्त करते हैं. वे सभी उम्मीदवार आई पी एस मे भर्ती होकर सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) में कठोर प्रशिक्षण से गुजरते हैं. एक आईपीएस अधिकारी मुख्यत: कानून और व्यवस्था को बनाए रखने, दुर्घटनाओं से बचने और निपटने, कुख्यात अपराधियों और अपराध को रोकने एवं यातायात प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है. इन सामान्य कर्तव्यों के अलावा, एक अधिकारी नशीली दवाओं की तस्करी, मानव तस्करी, सीमा सुरक्षा को बनाए रखने, आतंकवाद को रोकने, रेलवे पुलिस और साइबर अपराधों का निरीक्षण व नजर रखने के लिए जिम्मेदार है.

आईपीएस का काम कर रहे आईएएस….?

इसके विपरित आईपीएस का काम जब आईएएस करे तो …आप क्या कहेंगे? ऐसी ही चर्चा प्रदेश के सरकारी महकमे में आज कल बहुत जोरों पर है. कहा तो यह जा रहा है कि अगर जिले के ये दो बड़े अधिकारी मिलकर काम करें तो जिले का विकास कितना होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन यही जोड़ी अगर विपरित दिशा में आगे बढ़ जाए तो माहौल का अंदाजा लगाना आसान नहीं होगा ? प्रदेश में एक ऐसे ही जिले की बात आम चर्चा में है. जहां आईपीएस अधिकारी अपने महकमें की सभी फाईलें आईएएस की टेबल पर भिजवाते हैं और कार्य वो तय करते हैं कि किस फाईल को कितना महत्व देना है और किसी लूपलाईन में डाल देना है. जब आईपीएस अधिकारी का फैसला एक आईएएस करने लगे तब मामला संदिग्ध हो जाता है. किसी थाने में कौन ? किसी मामले को किस तरह से निपटाना है यह भी अगर आईएएस तय करने लगे तो आईपीएस अफसर की कार्यक्षमता पर सवाल उठने लाजिम हो जाते हैं. क्या पुलिस विभाग के सभी फैसले आजकल एसपी की बजाय कलेक्टर लेने लगे हैं ? या यह समझा जाए जिले का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में लेकर कलेक्टर ही जिले के सारे फैसले कर रहे हैं ? इसका असर जिले के सारे थानों में देखने को मिल रहा है. नीचे का विभागीय अमला इससे परेशान भी दिखाई दे रहा है. उन पर आर्थिक बोझ अतिरिक्त बढऩे के आसार दिखाई दे रहे हैं. इस बोझ के चलते काम की अनदेखी हो सकती है ? और इसका असर कानून व्यवस्था पर भी हो सकता है ? हालांकि इस जिले के विषय में पूर्व में जितने अधिकारी रहे हैं उन्होंने बेहतर पुलिसिंग के लिए कार्य किया है.

प्रश्न यह उठता है कि इस विषय में क्या मुख्यमंत्री कार्यालय को जानकारी नहीं है ? प्रश्न इसलिए भी कि अभी प्रदेश के मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश में दौरा कर आईएएस और आईपीएस की कार्यशैलियों तथा काम की समीक्षा कर रहे है. जाहिर तौर पर इसकी जानकारी उन्हें है यह कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. तो क्या यह समझा जाए कि इस तरह की कवायद उपर के स्तर से आ रहे दबाव के कारण है या और कुछ ? कारण जो हो पर इन दिनों इस जिले में पुलिस प्रशासन के नीचे का महकमा काफी दबाव में नजर आ रहा है. प्रशासनिक फैसले जब एक ही अधिकारी लेने लगे तब फैसले भी कैसे-कैसे होंगे इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है ?

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