Wednesday, May 15, 2024
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किसान से धान की रकम निकालने के एवज में 5 हजार रुपए रिश्वत लेते सहकारी बैंक के मैनेजर और कैशियर को एसीबी ने रंगेहाथ किया गिरफ्तार

कोरबा : भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करते हुए एन्टी करप्शन ब्यूरो ने दो आरोपियों को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है. मामला कोरबा जिले के पाली स्थित जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या. शाखा में सामने आया है. जहां एन्टी करप्शन ब्यूरो की टीम ने किसान को उसी के खाते से पैसे निकालकर देने के ऐवज में 5000 रुपए रिश्वत लेते ब्रांच मैनेजर और कैशियर को रंगे हाथों पकड़ा गया है.
मिली जानकारी के मुताबिक प्रार्थी रामनोहर यादव जो कि ग्राम धंवरा डोंगरी बतरा, जिला कोरबा का निवासी है. जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या. शाखा पाली, जिला कोरबा में उसके द्वारा बेचे गये धान का भुगतान् जो करीब 5 लाख रुपये था. जिसके आहरण के लिये 7500 रुपये रिश्वत की मांग आरोपीगण अमित दुबे ब्रांच मैनेजर और आशुतोष तिवारी कैशियर द्वारा की गई थी.
प्रार्थी द्वारा इसकी शिकायत एन्टी करप्शन ब्यूरो, बिलासपुर में की गई. शिकायत सत्यापन के बाद आज 24 अप्रेल 2024 को योजनाबद्ध तरीके से ट्रेप आयोजित किया गया.
प्रार्थी आरोपी को रिश्वत देने के लिये बैंक कार्यालय गया. जहां आरोपी द्वारा सावधानी बरतते हुए रिश्वती रकम न लेते हुए 5 लाख रुपये आहरण राशि से रिश्वती रकम 5000 रुपये काटकर प्रार्थी को बाकी रकम दी गई. जिस पर एसीबी की टीम द्वारा कार्यवाही कर कैशियर से रिश्वत की रकम बरामद की गई.
घटना में दोनों आरोपियों के शामिल पाए जाने से दोनों ही आरोपियों के खिलाफ धारा ? भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (यथासंशोधित अधिनियम 2018) के तहत गिरफ्‌तार किया गया.
एन्टी करप्शन ब्यूरो, छत्तीसगढ़ के सभी नागरिकों से अपील करती हैं कि रिश्वत/भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतें हमारे ई-मेल, टोल फ्री नंबर (1064) या खुद कार्यालय में आकर कर सकते हैं.
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गौरतलब है कि यह प्रदेश का पहला मामला नहीं है. जहां किसान के हक पर पढ़े लिखे गवार अफसर डाका डाल रहे हो. जिसको लेकर शासन प्रशासन द्वारा सार्थक प्रयास जरुर समझी जा रही है. क्योंकि शिक्षा और विकास से कम तालुकात रखकर भी अपने मेहनत के बलबूते अन्न का दान लोगो तक पहुंचाने में मशगूल किसानों को इतनी जानकारी ही नहीं होती है. उनकी सेवा में लगे अफसर ही उनके मेहनत की कमाई लूट रहे हैं. इसे भी वह अपनी नियती समझ किसान अपनाने मजूबर हैं. ऐसे में देखना होगा कि किसानों की इन बड़ी परेशानी को प्रदेश के हुकमरान कब तक समाधान कर सकते है..??? या फिर किसान के उत्थान और विकास का मुद्दा हमेशा कि तरह केवल चुनावी राजनीति तक ही सिमट कर रह जाएगा.!

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