गरियाबंद : महाशिवरात्रि को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। वही नगर पालिका गरियाबंद में महाशिवरात्रि के अवसर पर भव्य शिव बारात निकाली गई. महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में शुक्रवार को गरियाबंद मरौदा स्थित विश्व के सबसे विशाल शिवलिंग भूतेश्वरनाथ मंदिर से भोले की बारात निकाली गई। पालकी पर सवार बाबा भोलेनाथ के साथ शिवगण और देवी देवताओं के सचेतन स्वरूप भोले की बारात में शामिल हुए.
दूल्हा बने शिवजी को सुसज्जित पालकी में विराजित कर सैकड़ों भक्तों ने कांधे पर लेकर मंदिर परिसर कि परिक्रमा की, इस दौरान भक्तों में भगवान की पालकी को उठाने की होड़ मची रही। भगवान भोलेनाथ की बारात में लोग नाचते-गाते रंग गुलाल उड़ाते चले वहीं जगह-जगह लोगों ने भोले बाबा के दर्शन किए। लोगों ने जगह-जगह प्रसाद वितरित कर भगवान भोलेनाथ की बारात का स्वागत किया। बारात में भगवान भोलेनाथ की भव्य झांकी भी शामिल रही। महादेव आस्था व विश्वास का केंद्र बना रहा पूरा ज़िला मुख्यालय भजन बोलबम सेवा समिति ी ओर से प्रभातफेरी के बाद शिव बारात निकाली गई.
यश मिश्रा ने बताया कि गरियाबंद भूतेश्वरनाथ से पालकी 4 बजे निकाली गई लगभग 4 किलोमीटर भोले की बारात में लोग पालकी उठा कर नाचते गाते साथ चल रहे है और 6 बजे गरियाबंद पहुँचे भोलबाबा की पालकी जिस मुहल्ले से गुजर रही है वहाँ शिवभक्त द्वारा बारात का भव्य स्वागत किया जा रहा है पूरे शहर में अभी पालकी भ्रमण किया जाएगा.
इस अवसर पर ये रहे उपस्थित यश मिश्रा अभिषेक तिवारी, शानू निकेश सिन्हा ,आशीष सिन्हा , आशीष देवंशी, प्रांजल ठाकुर ,विकाश पाण्डेय ,मानव निर्मलकर, नमन सेन, दानेंद्र चौहान, अंकित देवांगन, राहुल देवांगन, छैयंक सिन्हा,. प्रशांत राठौर, पियूष सिन्हा, अर्जुन ,आदर्श बागे, प्रियांशु तिवारी, चिराग, बोल बम समिती एवं समस्त नगर वासी.
महाशिवरात्रि के अवसर पर आज शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ के दर्शन-पूजन के लिए सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. गरियाबंद के ग्राम मरौदा स्थित विश्व के सबसे विशालतम शिवलिंग भूतेश्वर नाथ महादेव में भी आज सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है. इस पर्व को खास बनाने आज आयोजन समिति ने भी खास इंतजाम किया है. वही गरियाबंद के युवाओं द्वारा उज्जैन के तर्ज पर आज बाबा भूतेश्वरनाथ की पालकी भी निकाली गई, जो मरौदा से गरियाबंद पहुँच पूरे नगर भ्रमण करेगा आज शुक्रवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर भूतेश्वरनाथ मंदिर में आस्था का जन सैलाब उमड़ा। करीब 25 हजार से अधिक लोगों ने महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया.
महाशिवरात्रि के अवसर पर आज शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ के दर्शन-पूजन के लिए सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. गरियाबंद के ग्राम मरौदा स्थित विश्व के सबसे विशालतम शिवलिंग भूतेश्वर नाथ महादेव में भी आज सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है. इस पर्व को खास बनाने आज आयोजन समिति ने भी खास इंतजाम किया है. वही गरियाबंद के युवाओं द्वारा उज्जैन के तर्ज पर आज बाबा भूतेश्वरनाथ की पालकी भी निकाली गई, जो मरौदा से गरियाबंद पहुँच पूरे नगर भ्रमण करेगा आज शुक्रवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर भूतेश्वरनाथ मंदिर में आस्था का जन सैलाब उमड़ा। करीब 25 हजार से अधिक लोगों ने महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया.
इसके साथ ही मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की। सुबह से ही यहां भक्तों का आने का सिलसिला शुरू हो गया था, दोपहर होते तक भीड़ इतनी हो गई कि शिवलिंग के चारों तरफ पैर रखने तक की जगह नही बची। भक्तों ने कतार लग बारी बारी भगवान की पूजा अर्चना की। देर रात तक मंदिर प्रांगण में यही स्थिति बनी रही। पूरे दिन भक्तों ने श्रद्धा भाव के साथ भगवान शिव की आराधना की। मनोकामना पूर्ति के लिए उन्हें बेल और धतूरे अर्पित किए। शिवलिंग की अर्ध परिक्रमा की। इसके साथ ही यहां भक्तिमय कार्यक्रम भी चलते रहे। शिव पार्वती विवाह सहित भगवान शिव पुराण के कई अंशो का बखान किया गया.
उल्लेखनीय है की महाशिवरात्रि के अवसर पर विश्व प्रसिद्ध शिवलिंग भूतेश्वनाथ मंदिर में भक्तों का मेला लगता है। प्रदेश के दूर दराज जिले से लोग शिवलिंग के दर्शन और भोलेनाथ की आराधना के पहुंचते है। इस शुक्रवार भी हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचे थे, भूतेश्वरनाथ सेवा समिति तथा रोहरा परिवार द्वारा उनके भंडारा प्रसाद की व्यवस्था की गई थी। जिसमे करीब 10 हजार से अधिक लोगो ने प्रसाद ग्रहण किया,भूतेश्वरनाथ महादेव के भंडारा समिति प्रमुख वीरभानदास रोहरा ने बताया कि लोग अपनी मन्नतें लेकर दूर-दूर से यहां आते है।और उनके परिवार के द्वारा पिछले 25 सालो से भंडारा का आयोजन किया जा रहा है श्री रोहरा ने कहा प्रसादी वितरण का आयोजन उनके पिता सवर्गीय बखतमल रोहरा ने 50 लोगो से की थी और आज हज़ारो लोगो को उनके परिवार की ओर से भंडारा में प्रसाद वितरण किया जाता है.
थाना प्रभारी कृष्णा प्रसाद जांगड़े अपनी पूरी टीम के साथ भूतेश्वरनाथ में सुरक्षा व्यवस्था देख रहे है उन्होंने कहा महाशिवरात्रि के अवसर पर भूतेश्वरनाथ मंदिर में हर साल हज़ारो की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते है वही भीड़ और ट्रैफ़िक व्यवस्था सुचारू रूप से जारी रहे और भीड़ से किसी प्रकार की भगदड़ ना हो आने जाने में महिलाओं और बुजुर्गों को दिक़्क़त ना हो इसीलिए पार्किंग की अलग से व्यवस्था की गई है और हमारी पूरी टीम लगातार पेट्रोलिंग भी कर रही है.
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महाशिवरात्रि पर पुण्य स्नान बड़ा महत्व, त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
रायपुर : महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शुक्रवार तड़के सुबह बड़ी संख्या में श्रद्धालु ने राजिम के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाए और भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर अपने आप को धन्य किया. धर्म के प्रति आस्था का जूनुन गुरूवार की रात से ही देखने को मिल रहा था. आस्था और श्रद्धा के चलते भोलेनाथ के प्रति अटूट भक्ति रखने वाले भक्त तड़के 2 बजे से ही राजिम संगम की धार में डुबकी लगाने पहुंच गए थे. महाशिवरात्रि पर इस पुण्य स्नान को काफी महत्व माना जाता है. इसलिए तड़के सुबह से लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुगण पुण्य स्नान कर दीपदान किया. पश्चात दर्शनार्थियों की लम्बी लाइन कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर और राजीव लोचन मंदिर, बाबा गरीब नाथ की ओर लग गई.
श्रद्धालुगण भगवान के दर्शन करने लाईन में डटे अपनी बारी की इंतजार करते रहे। यह सिलसिला तड़के तीन बजे से जारी रहा है। वैसे महाशिवरात्रि पर्व में स्नान के बाद दीपदान करने की परंपरा कई सौ वर्षों पहले से ही चली आ रही है। इस परंपरा और श्रद्धा का पालन आज भी श्रद्धालुगण करते देखा गया है। नदी की धार में दोने में रखा दीपक की लौ किसी जुगनू की भांति चमकती नजर आई। कई महिलाओं ने रेत का शिवलिंग बना कर बहुत ही श्रद्धा के साथ बेल पत्ता, धतुरा के फूल चढ़ाकर आरती भी किया। मान्यता के अनुसार यहां कई भक्त नदी अपने मासूम बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराया है। कुलेेेश्वर महादेवमंदिर क्षेत्र में जगह-जगह पंडितों का हुजूम भी लगा हुआ था, जहां भगवान सत्यनारायण और शिवजी की कथा भी श्रद्धालुजन करा रहे थे.
वैसे तो पर्व व त्योहार में स्नान का अपना अलग महत्व होता है, लेकिन महाशिवरात्रि पर त्रिवेणी संगम में स्नान करने का खास कारण है। बताया जाता है महाशिवरात्रि में किसी भी प्रहर अगर भोले बाबा की प्रार्थना कि जाए, तो मॉ पार्वती और भोलेनाथ सीधे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते है। भगवान शंकर के शरीर पर शमशान के भस्म गले में सर्पों की हार कंठ में विष जटाओं में पावन गंगा तथा माथे में प्रलयंकारी ज्वाला उनकी पहचान है। माना जाता है कि महानदी, सोंढूर, पैरी के संगम में स्नान करने से तन पवित्र तो होते है बल्कि मन की मलिनता दूर हो जाती है। इस दिन संगम की सूखी रेत पर सूखा लहरा लेने का भी परंपरा है। विश्वास है कि भोलेनाथ अन्य वेश धारण कर मेले का भ्रमण करते है.
हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठी पातालेश्वर महादेव की धार्मिक नगरी मल्हार….महाशिवरात्रि पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़,
मल्हार – महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर बोल बम हर हर महादेव के जयकारे से गूंज उठी शिवनगरी , सुबह से देर रात तक भोलेनाथ की आराधना होती रही.
कीर्तन मंडलीयो व युवकों की टोलियो ने भजन कीर्तन के साथ शिव बारात निकाली जिसमे सैकड़ों लोग शामिल हुए तो वही महिलाओ व युवतियों ने भोलेनाथ को प्रसन्न करने विशेष पूजन किया। भगवान पातालेस्वर महादेव मंदिर में गुरुवार की रात 12 बजे से ही श्रद्धालुओं की कतार लग गई थी जो शुक्रवार को देर रात तक दर्शन कर जलाभिषेक करते रहे.
महिलाओ ने पूजा की थाली में शिवजी के प्रिय पुष्प आंक, धतूरा, कनेर, बेलपत्र, मंदार के साथ ही दूध, दही, मधु, चांवल, पंचामृत, गंगा जल व धूप दीप के साथ पूजन कर मनवांछित फल की कामना की। वही बोलबम का जयकारा लगाते दूर दूर से कांवडियो के कई जत्थे पहुंचे जिन्होंने मंदिर परिसर में भजन कर भोले नाथ का जलाभिषेक किया। इस दौरान आज २० हजार से श्रद्धालुओं ने महादेव में जलाभिषेक किया। चौकी प्रभारी विष्णु यादव अपने स्टाफ के साथ सुरक्षा व्यवस्था बनाने देर रात तक लगे रहे। इस मौके पर युवाओं की टीम ने नगर में कई जगह स्टाल लगाकर भंडारा का आयोजन किया.
नगर में पहली बार हिंदू युवा समिति द्वारा भव्य रूप से शिव बारात भगवान पातालेश्वर मंदिर से मां डिडिनेश्वरी तक निकाली गई जिसमे युवाओं ने ही झांझ मंजीर, ढोलक, डमरू थाम रखी थी इस दौरान सभी नाचते गाते शिव व शक्ति का जयकारा लगा रहे थे भगवान शंकर को पालकी में सवार किया गया था, शोभायात्रा के मंदिर पहुंचने के बाद पंडित सुरेंद्र शर्मा ने विधिपूर्वक पूजन संपन्न कराया जिसके बाद प्रसाद वितरण किया गया, इससे पहले सुबह कीर्तन मंडली ने भजन यात्रा निकाली जिसमे नगर के लोग शामिल हुए.
महाशिवरात्रि पर्व से परंपरागत रूप से 15 दिन तक चलने वाली मेला शुक्रवार से प्रारंभ हो गई जो होली त्योहार तक चलेगा। मेला का इंतजार क्षेत्रवासियो को बहुत ही बेसब्री से रहता है क्योंकि वे अपने जरूरतों के सामान इसी मेले ही खरीदते है इस बार भी बड़ी संख्या में दुकाने लग गई है वही विभिन्न तरह के मनोरंजन के साधन भी लग रहे है जहां वे परिवार सहित मेले का लुफ्त उठाएंगे। हालांकि मेले की रौनक एक हफ्ते बाद ही देखने को मिलेगी इस दौरान व्यापारी अपनी दुकान सजाते रहेंगे.
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दुधावा : महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर दुधावा अंचल में शिवरात्रि पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया गया। वहीं इस अवसर पर दुधावा अंचल के विभिन्न गांव में स्थित शिवालय शिव मंदिर दुधावा,शीतला प्रांगण शिव मंदिर दुधावा,भीमाशंकर महादेव बरक ई, दक्षेश्वर महादेव मंदिर धनोरा, नर्मदेश्वर महादेव राम जानकी मंदिर शामतरा, जय भोले बाबा मंदिर घोटियावाही में श्रध्दालुओं दर्शन करने के लिए भारी संख्या में पहुंचकर जलाभिषेक कर पूजा अर्चना किये। मंदिर में हर हर महादेव, ओम नम शिवाय के जयकारों से गूंजे। शिवालय में श्रध्दालुओ जलाभिषेक करने दूध, दही,बेल पत्र, पुष्प, फल लेकर भगवान शिव मंदिर पहुंच कर पूजा अर्चना किये।
महाशिवरात्रि पर महानदी में स्नान करने श्रध्दालुओ की भीड़ देखने को मिली , लोग सुबह से ही महानदी में स्नान ध्यान, पूजा अर्चना करते हुए दिखाई दिए शिवालय के लिए जलाभिषेक के लिए जल लेकर शिव मंदिर पहुंचे । गांव के देवी देवताओं को भी महानदी में स्नान कराया गया.
बूढ़ा महादेव मंदिर रतनपुर में उमड़ी भक्तो की भीड़…महादेव का जलाभिषेक कर की गई विशेष पूजा
रतनपुर – हम आपको महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व में एक ऐसे अदभूत,अलौकिक और रहस्यमय शिवलिंग के बारे में बताने और दर्शन कराने जा रहे है जिसके दर्शन मात्र से आपका रोम रोम शिवमय हो जायेगा। बिलासपुर से महज 25 किलोमीटर दुर मां महामाया की नगरी रतनपुर जिसे लहुरीकाषी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर रामटेकरी के ठीक नीचे स्थापित है बूढा महादेव का मंदिर इस मंदिर को वृध्देष्वरनाथ के नाम से भी पुकारा और जाना जाता है। कहते है कि बुढा महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वंयभू है और यदि इसे गौर से देखें तो भगवान शिव की जटा जिस प्रकार फैली होती है ठीक उसी प्रकार दिखलाई देता है.
शिवलिंग के तल पर स्थित जल देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानों पुरी आकाशगंगा या ब्रम्हांण्ड इसमें समाया हुआ हो। इस शिवलिंग में जितना भी जल अर्पित कर ले उसका जल उपर नहीं आता और शिवलिंग के भीतर के जल का तल एक सा बना रहता है इस शिवलिंग पर चढाया जल कहां जाता है यह आदिकाल से आज तक इस रहस्य को कोई ना जान सका। सावन के पवित्र माह में भगवान शिव के इस अदभूत शिवलिंग पर जलाभिशेक करने हजारों की तादात में श्रध्दालूओं की भीड उमडती है कांवरिये अपने कांवर का जल लेकर बूढा महादेव को चढातें है.
इस मंदिर के पुजारी कृष्णकुमार दुबे की माने तो बुढामहादेव मंदिर का नाम वृध्देष्वर महादेव मंदिर है यहां स्थित शिवलिंग को वे अव्दितीय बतलाते हुऐ कहते है कि आपने गोलाकार लिंगाकार शिवलिंग देखा होगा लेकिन ये षिव लिंग जटा के आकार में है और स्वंयंभू है और बीच में जल भरा है जिसका जल स्तर लगातार जल डालने के बाद भी ना ही घटता है ना ही बढता है। शिवलिंग पर चढाया जल कहां जाता है नहीं मालूम। पुजारी कहते है यहा आने वाले श्रध्दालूओं की मनोकामनाऐ पुरी होती है। राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी अष्वनी कुमार कहते है कि देवी देवताओं की की पुजा अर्चना के लिये अनेक चीजों की आवष्कता होती है लेकिन मगवान शंकर को सावन के महीने में यदि तांबे का एक लोटा जल ही अर्पित कर दिया जाय तो भगवान भोले नाथ प्रषन्न हो जातें है। दुर दराज से बोल बम और श्रध्दालूगण यहां आकर भगवान षंकर को जल चढाते है.
वृध्देष्वरनाथ मंदिर के पुजारी कहते हैं कि यह अति प्राचीन मंदिर है 1050 ई में राजा रत्नदेव दवारा इस मंदिर का र्जीणोध्दार किया गया था। यह मंदि कितना पुराना है इस बात की जानकारी नही है। इस मंदिर को लेकर अनेक किवदंती है उसके बारे में बतलाते हुए कहते है कि वर्षो पहले एक वृध्दसेन नामक राजा हुआ करता था जिसके पास अनेंक गाये हुआ करती थी जिसे लेकर चरवाहा जंगल में चरानें जाता था तो उसके साथ चरने गई गायों में एक गाय झुण्ड से अलग होकर बांस के धनी धेरे में धुस जाया करती थी और वहां अपने थनों से दुग्ध छरण कर रुद्राभिशेक किया करती थी यह कार्य प्रति दिन होता था। चरवाहे नें गाय का रहस्य जान इस बात की जानकारी राजा रुद्रसेन को दी राजा ने भी इस बात की पुष्टि कर आष्चर्य किये बिना ना रह सका.
लेकिन राजा को बात समझ नहीं आई उसी रात भगवान ने राजा को स्वप्न देकर अपने होने का प्रमाण दिया और उस स्थान पर मंदिर बनाये जाने और पुजा किये जाने की बात कही। और इस प्रकार राजा वृध्दसेन ने अपने नाम के साथ भगवान का नाम जोडकर मंदिर का नाम वृध्देष्वरनाथ मंदिर रखा। आज भी भक्तो के साथ साथ कांवरिये आते है और भगवान भोलेनाथ को जल जढा अपनी मनोकामना करते है। शिव भक्तों की माने तो यह अति प्राचीन पुरातात्विक महत्व का शिव मंदिर है इसकी विषेशता है कि शिव लिंग पर कितना भी जल चढाया जाय इसके जल स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पडता है। यदि इसमें कोई सिक्का डाला जाय तो उस सिक्के की आवाज खनखन करते सुनाई देती है जहाँ भक्तों की इच्छाऐ यहा मांगनें से पुरी हुई है.
मुड़ागांव में महाशिवरात्रि पर्व पर आदिवासी ध्रुव गोंड समाज ने किया पूजा अर्चना
गरियाबंद/ मुड़ागांव : महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शिवलिंग महादेव की पूजा अर्चना मुड़ागांव के आदिवासी ध्रुव गोंड समाज की मातृशक्ति, पितृशक्ति और सभी लोगों ने किया।इस दौरान आदिवासी ध्रुव गोंड समाज के अवधराम ध्रुव, सहदेव, झूमसिंग, जगन, ओमकार, विजय कुमार, बिरझु, मुलसिंग, खुमानसिंग, रेखराम ध्रुव आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता व मातृशक्ति उपस्थित थे सभी लोगों ने महादेव से आशीर्वाद लिया। प्रतिवर्ष की भांति महाशिवरात्रि महादेव की पर्व को धूमधाम से मनाया गया.
ब्रह्मकुमारीज गरियाबंद में मनाया 88वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती
गरियाबंद/देवभोग : देवभोग मार्ग स्थित शिव शक्ति भवन ब्रह्माकुमारीज़ सेंटर मे 88वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव मनाया गया। महाशिवरात्रि पर अपने अहंकार और बुराइयों को दूर करने का संकल्प लेना होगा. ताकि हमारे जीवन का उद्देश्य सही मायनों में पूरा हो सके। यह बात महाशिवरात्रि महोत्सव पर शिव जयंती कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी गीता दीदी ने कही.
उन्होंने कहा कि हमारे मनोबल को बढ़ाने के लिए हमें परमात्मा की शक्ति की आवश्यकता होती है, जो हमें साधना से मिलती है। समारोह में शिव ध्वजारोहण कर सभी को विकारों, बुराइयों को परमपिता शिव परमात्मा को दान करने का संकल्प दिलाई गई। महोत्सव को लेकर शिवशक्ति भवन के हॉल को विशेष रूप से शिव ध्वज से सजाया गया है। विशेष रूप से योग साधना का दौर जारी है। मुख्य ध्वजारोहण सुबह 8 बजे हॉल के सामने शक्ति विशाल ध्वज फहराया गया एवम् परमात्मा शिव की जन्मदिवस मना कर विशेष प्रसाद वितरण किया गया.
इस कार्यक्रम में विशेष रूप से वरिष्ठ सेवाधारी गंगासागर दीवान, लखन लाल चंद्राकर, डॉ जीवन लाल, जीवन लाल देवांगन, लाल सिंह दीवान,धर्मेंद्र ठाकुर शिक्षाविद समाजसेवी डॉ. ओमप्रकाश वर्मा, विकास पारख, अनूप महाडिक, रामस्वरूप साहू जी, अधिवक्ता नारायण साहू, एएसएलआर विजय सिंह, रुखमणि साहू सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही.