Monday, April 29, 2024
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कार या बाइक मॉडिफाई कराने से पहले जान लें नियम, नहीं तो हो सकता है तगड़ा जुर्माना और सजा

मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के मुताबिक भारत में लगभग सभी कारों को मॉडिफाई करना जुर्म है. अगर वाहन के लुक में किसी भी तरह का कोई बड़ा बदलाव किया जाता है. जिसमें उसका डिजाइन या लुक निर्माता द्वारा बनाए मूल डिजाइन से अलग दिखाई देगा. तो उसमें वाहन मालिक को दोषी करार दिया जाएगा. मिसाल के तौर पर बंपर या फेंडर को पूरी तरह से बदलना. लाइट बदलना. एग्जॉस्ट बदलना वागिरह जैसे छोटे लगने वाले मॉडिफिकेशन भी गैरकानूनी हैं. कार या बाइक की पूरी किट को बदलने पर तो जुर्म और बढ़ जाता है. ऐसा करने पर गाड़ी को सीज भी किया जा सकता है और साथ ही जेल की सजा भी हो सकती है.

अपने वाहन को मॉडिफाई कराने से पहले उस राज्य के कानून की जानकारी उस राज्य की RTO वेबसाइट के जरिए प्राप्त करना चाहिए.

वाहन में कोई भी संशोधन नहीं किया जाना चाहिए जो उस के निर्माता द्वारा कागजातों में अनुशंसित मूल विनिर्देशों से अलग हो. मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 52 में कहा गया है कि स्वामी को ऐसे किसी संशोधन की मंजूरी नहीं है जो रजिस्ट्रेशन कागजात में उल्लिखित वाहन की मूल जानकारी या स्वरूप को बदल दे. इसमें उसकी मूल संरचना, इंजन, निकास, बड़े पहिये, तेज हॉर्न, चौड़े टायर और साइलेंसर आदि शामिल हैं. जिनका बदला जाना अनुचित माना गया है. अगर किसी भी नियम का उल्लंघन होता है तो वाहन मालिक को प्रति बदलाव पांच हजार रुपये का जुर्माना या छह माह कैद की सजा हो सकती है.

छोटे-मोटे बदलाव

गाड़ी के रंग में छोटे-मोटे बदलाव या छोटे-मोटे फिटमेंट तो अलग से करा सकते हैं. लेकिन बॉडी या चैसिस के साथ कोई स्ट्रक्चरल बदलाव या फिर सीएनजी, सोलर पॉवर या एलपीजी और बैटरी पर वाहन चलाना या फिर किसी प्रकार की कनवर्जन किट लगाना नियम के खिलाफ है. और इसके लिए आरटीओ की परमिशन लेनी जरूरी है. ऐसा न करने पर रजिस्ट्रेशन कैंसिल किया जा सकता है.

नए टायर लगवाने जा रहे हैं

अगर आप मॉडिफिकेशन के लिहाज से अपनी कार में नए टायर लगवाने जा रहे हैं तो ध्यान रहे कि आपके टायर कार की बॉडी से बाहर ना झांके. आसान भाषा में कहें तो व्हील आर्क से बाहर निकल रहे टायरों को कानूनन तौर पर अमान्य माना जाता है जिसके लिए आपसे जुर्माना वसूल किया जा सकता है. वैसे कई कंपनियों में गाड़ियों के वेरिएंट के हिसाब से भी अलग अलग साइज के टायरों की पेशकश की जाती है. ऐसे में अगर आपने ऐसी किसी कार का बेस मॉडल खरीदा है तो आप अपनी ही कार के टॉप वेरिएंट्स में दिया जा रहा बड़े साइज का टायर अपनी कार में लगवा सकते हैं.

गाड़ी के स्ट्रक्चर में कोई भी बदलाव

आपकी कार की रेगुलर स्टाइलिंग से अलग किसी तरह का कोई मॉडिफिकेशन अब गैरकानूनी करार दे दिया गया है. अगर आप अपनी गाड़ी के स्ट्रक्चर में कोई भी बदलाव करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कुछ नियमों की पालना करनी होगा. मिसाल के तौर पर आप अपनी कार की साइज को ज्यादा लंबा नहीं कर सकते हैं. मानलो आप एक सेडान कार को लिमोजिन में कन्वर्ट कराना चाहें तो इसके लिए आपको अपने आरटीओ से परमिशन लेनी होगी. इसी तरह कई लोग पहले अपनी कारों की रूफ निकालकर उसे कन्वर्टिबल कार में तब्दील करने का जो मॉडिफिकेशन कर लिया करते थे वो 2019 से लागू हुए कार मॉडिफिकेशन नियमों के बाद से अब ऐसा नहीं कर सकते हैं.

ग्लास

भारत में 50 ​प्रतिशत से कम विजिबिलिटी वाले ग्लास को लेकर बेहद ही सख्त कानून है. आपकी कार की के आगे वाले ग्लास और पीछे वाले ग्लास की विजिबिलिटी 70 प्रतिशत होनी चाहिए जबकी विंडोज़ के ग्लास की विजिबिलिटी 50 प्रतिशत होना जरुरी है. अगर तय विजिबिलिटी कम पाई जाती है तो आपको भारी चालान भरना पड़ सकता है. इसके अलावा गाड़ी के फैैक्ट्री फिटेड ग्लास पर ब्लैक कलर की फिल्म चढ़ाना भी गैरकानूनी माना गया है.

हॉर्न

कार के हॉर्न से जुड़ा कानून कहता है कि उसकी आवाज 80 डेसिबेल्स से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर आप अपनी कार में बाजार से लेकर कोई स्पेशल हॉर्न लगवाते हैं तो ध्यान में रहे कि वो 80 डेसिबेल्स से ज्यादा शोर ना करता हो. देश में बढ़ते नॉइस पॉल्युशन की वजह से अब वैसे भी सरकार ने प्रैशर हॉर्न पर बैन लगा दिया है. वहीं अब म्यूजिकल हॉर्न पर भी रोक लगा दी गई है.

कस्टमाइज्ड सस्पेंशन

कार की राइड क्वालिटी में सुधार करने के लिए कभी कभी लोग कस्टमाइज्ड सस्पेंशन लगवा लेते हैं जो कि गलत नहीं है. मगर कानून कहता है कि इससे गाड़ी के ग्राउंड क्लीयरेंस पर कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. इससे अगर कार की राइड हाइट कुछ इंच उपर हो भी जाए तो ​कोई फर्क नहीं पड़ता मगर बहुत ज्यादा उपर होने पर ये गैर कानूनी माना जाएगा.

लाउड साइलेंसर

नॉइस पॉल्यूशन को कम करने की दिशा में अब कारों में लाउड साइलेंसर लगाने को भी गैर कानूनी करार दे दिया गया है. अगर आपकी गाड़ी का साइलेंसर शोर करता हुआ पाया जाता है तो ट्रैफिक पुलिस को आपका चालान करने का पूरा हक है. वहीं अगर आपकी कार का फैक्ट्री फिटेड साइलेंसर खराब हो गया है और गाड़ी ड्राइव करने पर ज्यादा शोर हो रहा तो फ़ौरन मैकेनिक के पास जाकर उसे ठीक कराएं.

कार का इंजन मॉडिफाई

कार का इंजन मॉडिफाई कराने में कोई बुराई नहीं है मगर आपको इसके लिए अपने रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस से परमिशन लेनी होगी. आप भले ही अपनी कार में ज्यादा पावरफुल इंजन लगवा लें मगर उसकी कैपेसिटी वही होनी चाहिए जो कंपनी ने आपकी कार के लिए तय की थी.

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