Wednesday, May 15, 2024
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रामदेव बाबा ने 67 अखबारों में छपवाया माफीनामा, कोर्ट ने पूछा- साइज विज्ञापन जैसा है क्या, कटिंग भेजिए, माइक्रोस्कोप से तो नहीं पढ़ना पड़ेगा

नई दिल्ली : योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (MD) बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार 23 अप्रैल को कहा कि उन्होंने भ्रामक विज्ञापन मामले में अपनी तरफ से हुई गलतियों के लिए समाचार पत्रों में बिना शर्त माफी प्रकाशित की है. मामले की अगली सुनवाई अब 30 अप्रैल को होगी.
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने रामदेव और बालकृष्ण के वकील से समाचार पत्रों में प्रकाशित माफीनामे को दो दिनों के भीतर रिकॉर्ड में पेश करने को कहा. पीठ ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 30 अप्रैल की तारीख तय की. सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को 16 अप्रैल को हिदायत दी थी कि वे एलोपैथी को नीचा दिखाने का कोई प्रयास नहीं करें. न्यायालय ने उन्हें पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापन के मामले में एक हफ्ते के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और पछतावा प्रकट करने की अनुमति दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया था कि वह अभी उन्हें इस चरण में राहत नहीं देगी. सुप्रीम कोर्ट 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ एक दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया था कि वह अभी उन्हें इस चरण में राहत नहीं देगी. याचिका में आरोप लगाया गया कि पतंजलि ने कोविड टीकाकरण और एलोपैथी को लेकर नाकारात्मक प्रचार किया था और खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से बीमारियों के इलाज का झूठा किया था. याचिका में कहा गया कि पतंजलि ने अपना आयुर्वेदिक दवाओं से कोरोना और अन्य बीमारियों के पूरी तरह ठीक होने के दावा किया है.
पतंजलि आयुर्वेद ने सोमवार 22 अप्रैल को कुछ न्यूज पेपर्स में माफीनामा प्रकाशित किया है. इसमें कहा कि पतंजलि आयुर्वेद सुप्रीम कोर्ट का पूरा सम्मान करता है. सुप्रीम कोर्ट में हमारे वकीलों ने हलफनामा पेश किया. उसके बाद हमने विज्ञापन प्रकाशित किया और प्रेस कॉन्फ्रेंस की. हम इसके लिए माफी मांगते हैं. भविष्य में कभी ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे.
पीठ ने कहा, ‘केंद्र सरकार को इस मामले पर जागना चाहिए।’ सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह मामले में सह-प्रतिवादी के रुप में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय से सवाल पूछ रहा है. देश भर के राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों को भी पार्टियों के रूप में जोड़ा जाएगा और उन्हें भी कुछ सवालों के जवाब देने होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी फटकार लगाई. अदालत ने कहा कि वह पतंजलि पर अंगुली उठा रहा है. जबकि चार अंगुलियां उन पर इशारा कर रही हैं. आईएमए से सुप्रीम कोर्ट ने पूछते हुए कहा कि आपके (आईएमए) डॉक्टर भी एलोपैथिक क्षेत्र में दवाओं का समर्थन कर रहे हैं. अगर ऐसा हो रहा है, तो हमें आप (आईएमए) पर सवाल क्यों नहीं उठाना चाहिए?
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