Monday, May 13, 2024
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ट्रैफिक पुलिसकर्मी राजशेखर ने CPR देकर बचाई शख्स की जान, बस से उतरते वक्त आया था हार्ट-अटैक, 2 मिनट के CPR से लौटी सांसें

तेलंगाना में एक ऑन-ड्यूटी ट्रैफिक कॉन्स्टेबल ने CPR (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देकर एक शख्स की जान बचाई. यह शख्स हार्ट-अटैक के चलते सड़क पर गिर पड़ा था. ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने फुर्ती दिखाते हुए उसके दिल के ऊपर तब तक प्रेशर लगाया जब तक उसकी सांस नहीं लौट आई. घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

ट्रैफ़िक पुलिसवालों को चिलचिलाती धूप से लेकर तेज़ बारिश तक में अपनी ड्यूटी निभानी होती है. चाहे मौसम कितना भी खराब हो वो अपनी ड्यूटी नहीं छोड़ सकते. शहर के ट्रैफ़िक को मोनिटर करने से लेकर नियम तोड़ने वालों पर नज़र रखने तक उन्हें सबकुछ मैनेज करना पड़ता है. कई बार वो आम जनता के अप्रिय व्यवहार का भी शिकार हो जाते हैं. इसके बावजूद वो जनता की सेवा करने से पीछे नहीं हटते और कई बार मासूम ज़िन्दगियां भी बचा लेते हैं. आज एक ट्रैफिक कॉन्स्टेबल राजशेखर ने अपनी सूझ-बूझ से एक शख्स की जान बचाई है.

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मिली जानकारी के मुताबिक बालाजी नाम का शख्स जैसे ही राजेंद्रनगर में बस से उतरा. उसे हार्ट-अटैक आ गया और वह सड़क पर ही गिर पड़ा, राजशेखर नाम के ट्रैफिक कॉन्स्टेबल ने उसे देखा और बिना समय गंवाए उसे CPR देना शुरू कर दिया. वे करीब 2 मिनट तक उसे CPR देते रहे.

इस बीच बालाजी में रिकवरी के आसार नजर आए. उसके मुंह से झाग भी निकला. उसकी सांस न घुट रही हो इसलिए राजशेखर ने उसकी शर्ट खोल दी. उससे बालाजी का मुंह साफ किया ताकि उसे सांस लेने में परेशानी न हो. जब वह होश में आ गया और उसकी सांस चलने लगी तो उसे अस्पताल में भर्ती किया गया. फिलहाल उसकी हालत में सुधार हो रहा है.

राज्य के वित्त मंत्री, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण हरीश राव थन्नीरू ने राजशेखर की प्रशंसा करते हुए कहा कि दिल के दौरे के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में तेलंगाना सरकार अगले हफ्ते से सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स और कर्मचारियों को सीपीआर की ट्रेनिंग देगी. बीते कुछ दिनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई है. जिसके बाद सरकार ने ये निर्णय लिया है.

सीपीआर यानी कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन एक जीवन रक्षक तकनीक है. जो आपात स्थिति जैसे दिल का दौरा या डूबने की स्थिति में व्‍यक्ति की जान बचाने में उपयोगी होती है.

सीपीआर कैसे देते हैं?

सबसे पहले पीड़ित को किसी ठोस जगह पर लिटा दिया जाता है और प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति उसके पास घुटनों के बल बैठ जाता है.

उसकी नाक और गला चेक कर ये सुनिश्चित किया जाता है कि उसे सांस लेने में कोई रुकावट तो नहीं है. जीभ अगर पलट गयी है तो उसे सही जगह पर उंगलियों के सहारे लाया जाता है.

सीपीआर में मुख्य रुप से 2 काम किए जाते हैं. पहला छाती को दबाना और दूसरा मुँह से सांस देना जिसे माउथ टु माउथ रेस्पिरेशन कहते हैं. पहली प्रक्रिया में पीड़ित के सीने के बीचो बीच हथेली रखकर पंपिंग करते हुए दबाया जाता है. एक से दो बार ऐसा करने से धड़कनें फिर से शुरू हो जाएंगी. पंपिंग करते समय दूसरे हाथ को पहले हाथ के ऊपर रख कर उंगलियो से बांध लें अपने हाथ और कोहनी को सीधा रखें.

अगर पम्पिंग करने से भी सांस नहीं आती और धड़कने शुरू नहीं होतीं तो पम्पिंग के साथ मरीज को कृत्रिम सांस देने की कोशिश की जाती है.

ऐसा करने के लिए हथेली से छाती को 1 -2 इंच दबाएं. ऐसा प्रति मिनट में 100 बार करें. सीपीआर में दबाव और कृत्रिम सांस का एक खास अनुपात होता है. 30 बार छाती पर दबाव बनाया जाता है तो 2 बार कृत्रिम साँस दी जाती है. छाती पर दबाव और कृत्रिम साँस देने का अनुपात 30 :02 का होना चाहिए. कृत्रिम सांस देते समय मरीज की नाक को दो उंगलियों से दबाकर मुंह से साँस दी जाती है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि नाक बंद होने पर ही मुंह से दी गयी सांस फेफड़ों तक पहुंच पाती है.

सांस देते समय ये ध्यान रखना है कि फर्स्ट एड देने वाला व्यक्ति लंबी सांस लेकर मरीज के मुंह से मुंह चिपकाए और धीरे धीरे सांस छोड़ें. ऐसा करने से मरीज के फेफड़ों में हवा भर जाएगी. इस प्रक्रिया में इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि जब कृत्रिम सांस दी जा रही है तो मरीज की छाती ऊपर नीचे हो रही है या नहीं. ये प्रक्रिया तब तक चलने देनी है जब तक पीड़ित खुद से सांस न लेने लगे. जब मरीज खुद से साँस लेने लगे. तब ये प्रकिया रोकनी होती है.

सीपीआर अगर किसी बच्चे को देनी है तो विधि में थोड़ा सा बदलाव होता है. बच्चों की हड्डियों की शक्ति बहुत कम होती है इसलिए दबाव का विशेष ध्यान रखा जाता है. अगर 1 साल से कम बच्चों के लिए सीपीआर देना हो तो सीपीआर देते वक़्त ध्यान रखें 2 या 3 उंगलियों से ही छाती पर दबाव डालें और छाती पर दबाव और कृत्रिम सांस देंने का अनुपात 30 :02 ही रखें.

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